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"दिन संवर जाएंगे तुम मिलो तो सही" कुमार विश्वास

दिन संवर जाएंगे तुम मिलो तो सही
ज़ख़्म भर जाएंगे तुम मिलो तो सही
रास्ते में खड़े दो अधूरे से हम
एक घर जाएंगे तुम मिलो तो सही
 
वक़्त के क्रूर छल का भरोसा नहीं
आज जी लो कि कल का भरोसा नहीं
दे रहे हैं वो अगले जनम की ख़बर
जिनको अगले ही पल का भरोसा नहीं
दूर तू है मगर मैं तेरे पास हूं
दिल है गर तू तो दिल का मैं एहसास हूं
प्रार्थना या इबादत या पूजा कोई
भावना है अगर तू मैं विश्वास हूं
इस अधूरी जवानी का क्या फ़ायदा
बिन कथानक कहानी का क्या फ़ायदा
जिसमें धुलकर नज़र भी ना पावन बने
आंख में ऐसे पानी का क्या फ़ायदा
मेरे दिल में जले हर दिये की कसम
आज तक जो किया उस किए की कसम
मैं जहां आस ले रोज़ बैठा रहा
लौट आओ उसी हाशिए की कसम
ताल को ताल की झंकृति तो मिले
रूप को भाव की अनुकृति तो मिले 
मैं भी सपनों में आने लगूं आपके
पर मुझे आपकी स्वीकृति तो मिले 
 
दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं
जख़्म इतने मिले फिर सिले भी नहीं
व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फ़ायदा
सोच लेना कि हम तुम मिले भी नहीं

 

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