सीता हरण की लीला देखने उमड़ी दर्शकों की भीड़

ललितपुर :   श्री रामयश कीर्तन मंडली के तत्वाधान में चल रहे श्री रामलीला महोत्सव अंतर्गत सीताहरण और राम सुग्रीव मित्रता की लीला का मंचन किया गया, जिसे देखने दर्शकों की भीड़ उमड़ पडी और मंडली के कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय संवाद से सभी का मन मोह लिया। आरती करने का सौभाग्य डा. बाबूलाल  सोनी, राजेश रिछारिया शिक्षक, शशिकांत  तिवारी,अभय दुबे , भगवान  सिंह क्योलारी और विजय साहू को प्राप्त  हुआ। लीला मंचन के प्रथम दृश्य में राम,लक्ष्मण और सीता को पंचवटी में देखकर रावण की बहिन सूर्पणखा उनके रूप पर मोहित होती है। तव वह सुन्दरी का रूप धारण कर क्रमशः राम और लक्ष्मण के समक्ष उससे विवाह करने का निवेदन करती है। तरह तरह से उनको रिझाने के प्रयास में जब वह सफल नहीं होती है तो क्रोधित होकर अपने वास्तविक राक्षसी रूप में आकर सीता को मारने दौडती है। यह देखकर लक्ष्मण आगे आ जाते हैं और सूर्पणखा के नाक-कान काट देते हैं। अगले दृश्य में सूर्पणखा अपने भाई खर ,दूषण ,त्रिसरा के पास  पहुँचती है और झूठी बात बनाकर कहती है कि वह जंगल में घूम रही थी, तो वहां पर राम और लक्ष्मण उसे छेड रहे थे।इससे कुपित होकर खर-दूषण ने श्रीराम को युद्ध के लिये ललकारा और भगवान राम ने उनका वध कर दिया। इसके बाद सूर्पणखा अपने भाई लंकापति रावण के दरवार मे पहुँच कर वही झूठी बातें सुनाती है,तो रावण क्रोधित होकर श्रीराम से बदला लेने की योजना बनाता है।रावण के आदेश पर उसका मामा मारीचि सोने का हिरण बनाकर सीता के सामने जाता है,जिस पर पर मोहित होकर सीता उस मृग को पाने के लिये राम से जिद करती है। भगवान राम उस हिरण के  पीछे जाते है और हिरण पर बाण चलाते हैं ।तभी मायावी मारीच जोर जोर से राम की आवाज निकालकर लक्ष्मण को पुकारता है। यह ध्वनि सुनकर सीता व्याकुल हो जाती हैं और वह हठ कर के लक्ष्मण को भाई की मदद के लिये भेजती हैं। इधर मौका देखकर रावण साधु भेष धारण कर भिक्षा माँगने आता है और सीता का हरण करके आकाश मार्ग से लंका की ओर रवाना होता है।सीता की करुण पुकार सुनकर रास्ते में उनको बचाने आये गिद्धराज जटायू के रावण पंख काट देता है और उसे मरणासन्न हालत में छोड जाता है । उधर जब पंचवटी मे राम और लक्ष्मण वापिस लौटकर सीता  को नहीं पाते हैं,तो परेशान हो जाते है। वह दोनों सीता की खोज मे वन वन भटकते हुये विलाप करते हैं और  घायलावस्था में पडे जटायु से मिलते हैं ,जो रावण द्वारा सीताहरण किये जाने का समाचार देकर श्रीराम की गोद में अपने प्राण त्याग कर सद् गति प्राप्त करता है। अगले दृश्य में राम और लक्ष्मण शबरी के आश्रम में पहुँचते हैं और प्रेम के वशीभूत होकर राम शबरी के जूठे बेर खाते हैं।शबरी उनको ऋष्यमूक पर्वत पर जाकर वानरों के राजा सुग्रीव से मिलने को कहती हैं। अगले दृश्य में श्रीराम और लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव भयभीत हो जाता है कि कहीं उसे मारने के लिये बाली ने तो नहीं भेजा। तव हनुमान ब्राह्मण वेश धारण कर श्रीराम से भेंट करते हैं। श्रीराम उनको सीताहरण का सारा वृत्तान्त सुनाते  हैं । हनुमान उनको लेकर सुग्रीव के पास पहुँचते हैं। अग्नि को साक्षी मानकर राम और सुग्रीव की मित्रता होती है। दोनों एक दूसरे की सहायता करने का वचन देते हैं।

यहाँ लीला मंचन को विराम मिलता है।
  लीलामंचन में प्रखर मिश्रा,अथर्व चतुर्वेदी, आयुष्मान खरे, सूर्यकान्त  त्रिपाठी,सत्येंद्र भर्ता, भगवत भोंडेले,अखिलेश  सोनी, अमित नायक, राजबहादुर  खरे, जितेन्द्र पालीबाल, कल्लू राजा,मनोज भोंडेले, अंश दुबे, दीपक तिवारी आदि ने सराहनीय अभिनय किया। आज बुधवार  को रामलीला  महोत्सव में विभीषण शरणागति, सेतुबंध  रामेश्वरम स्थापना और अंगद के शांतिदूत बनने की लीला का मंचन किया जायेगा ।

रिपोर्टर : ऋषि तिवारी

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