दश लक्षण धर्म का पालन करने से होती आत्म शुद्धि – गुरु दत्त सागर
ललितपुर - महरौनी श्री अजितनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री गुरु दत्त सागर एवं मुनि श्री मेघ दत्त सागर महाराज के सानिध्य में 28 अगस्त, ऋषि पंचमी से दश लक्षण पर्व का शुभारंभ हुआ। इस पावन अवसर पर श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन अभिषेक, शांति धारा, पूजन, स्वाध्याय, ध्यान, व्रत एवं उपवास आदि धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागी हो रहे हैं। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री गुरु दत्त सागर ने कहा कि जैन धर्म में दश लक्षण पर्व, धर्म के दस मूल सिद्धांतों के पालन का महापर्व है। इसके पालन से आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास संभव है। अनुयायी इस दौरान आत्मचिंतन, ध्यान, तपस्या, त्याग और मोक्षमार्ग की साधना करते हैं। प्रत्येक दिन उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन और ब्रह्मचर्य जैसे विशिष्ट धर्मों का पालन कर आत्मा को पवित्र और शुद्ध करने का पुरुषार्थ किया जाता है। मुनि श्री मेघ दत्त सागर ने अपने प्रवचन में कहा कि यह महापर्व आत्मचिंतन और आत्मनिरीक्षण का पर्व है, जो मनुष्य को अपनी गलतियों का पश्चाताप करने और दूसरों व स्वयं से क्षमा माँगने के लिए प्रेरित करता है। इस दौरान व्यक्ति क्रोध, अहंकार, लोभ और मोह जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों का त्याग कर करुणा, क्षमा और आत्मसंयम को धारण करता है। इससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और मोक्ष मार्ग के द्वार खुलते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की गरिमामयी उपस्थिति रही।
रिपोर्टर - ऋषि तिवारी
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