IRCTC घोटाला और ज़मीन के बदले नौकरी, क्या लालू युग का अंत?

जमीन के बदले नौकरी...और नौकरी के बदले सत्ता का खेल? रेलवे की पटरियों पर दौड़ती ट्रेनों से ज्यादा तेज़ दौड़ी लालू परिवार की डील की कहानी! सवाल ये है कि ये सिर्फ़ सियासी साज़िश है या वाकई सत्ता का शर्मनाक सौदा? जी हां आज राजनीति के उस चेहरे की पोल खुली है, जो कभी 'गरीबों का मसीहा' कहलाया करता था। लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, और बेटे तेजस्वी यादव...तीनों अब अदालत के कटघरे में खड़े हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज IRCTC घोटाला और लैंड फॉर जॉब स्कैम में गंभीर आरोप तय कर दिए हैं। ऐसे में अब सवाल ये है कि क्या लालू यादव ने रेल मंत्रालय को ‘पारिवारिक प्रॉपर्टी’ समझ लिया था? क्या नौकरी का मतलब अब रेज़्यूमे नहीं, रजिस्ट्री हो गया था? और क्या बिहार की राजनीति वाकई ‘जमीन’ के बदले ‘राजनीति’ का सौदा बन चुकी है? आखिर क्या है इन मामलों की असली कहानी, और क्या लालू परिवार की राजनीति को इन आरोपों से कोई नुकसान होगा? आइए, विस्तार से समझते हैं।

देश की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आ गया है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव पर दो बड़े घोटाले मामले में आरोप तय कर दिए गए हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने IRCTC घोटाला और लैंड फॉर जॉब केस में इन नेताओं के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। अब इस मामले में तीनों के खिलाफ केस चलेगा। राउज एवेन्यू कोर्ट ने साफ कर दिया है कि लालू प्रसाद यादव ने टेंडर प्रक्रिया में दखल देकर इसमें बड़े बदलाव कराए थे। इसके साथ ही राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कुल 14 आरोपियों पर धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, साजिश, पद का दुरुपयोग और टेंडर प्रक्रिया में छेड़छाड़ के आरोप तय किए गए हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि जमीन का हक राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को देने की साज़िश थी और ये सब लालू यादव की जानकारी में हुआ। हालांकि लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने अदालत में अपना अपराध स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और मुकदमे का सामना करने की बात कही। आपको बता दें इससे पहले लालू व्हील चेयर पर कोर्ट पहुंचे। राबड़ी और तेजस्वी यादव भी उनके साथ थे। वहीं इस मामले में कोर्ट में आज फैसला टल गया है। कोर्ट अब 10 नवंबर को फैसला सुनाएगा। अगर तीनों के खिलाफ आरोप साबित हुए तो इन्हें एक से 7 साल तक की सजा हो सकती है। अब आइए आप ले भी जान लीजिए कि आखिर ये IRCTC घोटाला है क्या?

आपको बता दें यह मामला लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए IRCTC के दो होटलों के रखरखाव के टेंडर में अनियमितताओं से जुड़ा है। आरोप है कि टेंडर एक फर्म को अनियमित तरीके से दिया गया। इस केस में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं। इस मामले में जांच एजेंसी का आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव के समय, बिहार के कई लोगों ने सरकारी नौकरी पाने के एवज में अपनी जमीन लालू परिवार के नाम ट्रांसफर की। जांच में पाया गया कि जमीन ट्रांसफर के बाद संबंधित व्यक्तियों के परिवार के कई सदस्यों को रेलवे में ग्रुप डी पदों पर नौकरी मिली। इसमें कई जमीनों को बहुत कम दामों पर लालू परिवार के सदस्यों को बेच दिया गया, जो बाजार मूल्य से कई गुना कम था। इस दौरान जो 7 बड़ी डीले हुई, उनमें...

किशुन देव राय ने मात्र 3.75 लाख में राबड़ी देवी को बेची, और परिवार के तीन सदस्यों को रेलवे में नौकरी मिली।

संजय राय ने भी इतनी ही कीमत पर जमीन बेची, और परिवार के दो सदस्यों को रेलवे में नौकरी मिली।

किरण देवी ने बड़ी जमीन मात्र 3.70 लाख रुपए में लालू की बेटी मीसा भारती को बेची, फिर बेटे को रेलवे नौकरी मिली।

हजारी राय ने जमीन 10.83 लाख में दिल्ली की एक कंपनी को बेची, और उसके भतीजों को रेलवे में नौकरी मिली।

लाल बाबू राय ने 13 लाख में जमीन बेची, और बेटे को नौकरी मिली।

बृज नंदन राय ने जमीन 4.21 लाख में बेची, जो बाद में लालू परिवार की बेटी को गिफ्ट की गई।

विशुन देव राय ने जमीन देकर परिवार के सदस्य को नौकरी दिलवाई, फिर जमीन लालू परिवार को ट्रांसफर कर दी।

ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या यह सिर्फ लालू परिवार की व्यक्तिगत राजनीति का मामला है या देश के करोड़ों लोगों के भरोसे पर बड़ा प्रहार? क्या बिहार की जनता को भ्रष्टाचार की ऐसी घटनाओं से उम्मीद टूट जाएगी? और सबसे बड़ा सवाल कि क्या लालू परिवार की राजनीतिक चमक अब फीकी पड़ने वाली है? बता दें बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बीच ये घटनाएं महागठबंधन की राजनीति को प्रभावित कर सकती हैं। आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर पहले ही खींचतान चल रही है। ऐसे समय में लालू परिवार के नेताओं पर ये आरोप और कोर्ट के फैसले महागठबंधन के लिए चुनौती बन सकते हैं। यह तो वक्त ही बताएगा कि इन आरोपों के चलते बिहार की राजनीति किस दिशा में जाएगी। लेकिन इतना साफ है कि देश की राजनीति में लालू यादव और उनके परिवार के ये मामले चर्चा और विवाद का नया अध्याय जोड़ रहे हैं। आपकी क्या राय है? क्या लालू परिवार इस चुनौती से उबर पाएगा, या फिर ये उनके राजनीतिक सफर का अंत होगा? 

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