श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ चंदवा में मजदूरों की हुंकार, यूनियन ने रैली निकालकर सौंपा राज्यपाल के नाम ज्ञापन

लातेहार : केंद्रीय मजदूर संगठनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर झारखंड दैनिक मजदूर यूनियन के बैनर तले चंदवा बस स्टैंड पर एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया। यह सभा केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए जा रहे बदलाव के विरोध में आयोजित की गई थी। सभा की अध्यक्षता धनेश्वर तुरी और संचालन सुरेश बस्पति ने किया। सभा के बाद यूनियन के सदस्यों व आम मजदूरों द्वारा एक रैली निकाली गई, जो प्रखंड मुख्यालय पहुंचकर महामहिम राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंप कर संपन्न हुई। सभा को संबोधित करते हुए यूनियन के अध्यक्ष प्रमोद साहू ने कहा कि केंद्र सरकार विदेशी कंपनियों और देशी कॉर्पोरेट घरानों की ‘हुकूमत’ में काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सस्ते श्रम की आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से श्रम कानूनों को लचीला बना रही है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर उन्हें चार श्रम संहिताओं में समाहित कर दिया है – मजदूरी संहिता, औद्योगिक कल्याण संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, और औद्योगिक संबंध संहिता। ये संहिताएं पूरी तरह से मालिकों के पक्ष में हैं। इसके तहत मालिक अपनी मर्जी से मजदूरों को रखेंगे और जब चाहें नौकरी से निकाल सकेंगे, जैसे मशीन के पुर्जे बदले जाते हैं। सभा को संबोधित करते हुए माकपा नेता राशिद खान ने कहा कि ठेकेदारी प्रथा को और अधिक बल दिया जा रहा है जिससे अस्थायी रोजगार की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। मजदूरों को स्थायी रोजगार की गारंटी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह नीति पूरी तरह मजदूर विरोधी है और इसके खिलाफ संयुक्त संघर्ष जरूरी है। मोहम्मद अलाउद्दीन ने कहा कि नई श्रम संहिताओं के तहत ओवरटाइम की समय सीमा को खत्म कर दिया गया है। इससे मजदूरों का शोषण और बढ़ेगा। उन्होंने चिंता जताई कि न सिर्फ मजदूरों के अधिकारों में कटौती की जा रही है, बल्कि उन्हें संगठित होकर संघर्ष करने का भी अधिकार छीना जा रहा है।सभा और रैली में बड़ी संख्या में मजदूर, किसान, समाजसेवी व यूनियन कार्यकर्ता शामिल हुए। प्रमुख रूप से अनिल उरांव, रतु भोक्ता, धीरन भोक्ता, मछिंद्र लोहार, मुकेश उरांव, प्रदीप टूरी, छोटू लोहार, कलिंदर लोहार, मनोज गंझू, सुरेंद्र सिंह, संतोष तुरी, शाहित समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे। रैली के माध्यम से मजदूरों ने अपनी एकता और संघर्षशीलता का प्रदर्शन करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलावों को वे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने महामहिम राज्यपाल से मांग की कि वे केंद्र सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों को वापस लेने का संदेश दें और झारखंड जैसे श्रमिक-आधारित राज्य में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।

रिपोर्टर : बब्लू खान 

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