माटी से नाता नहीं भूले लाल मोतीनाथ और एडीएम लाल ज्योति नाथ शाहदेव, पूरे परिवार संग खेत में किया श्रमदान बच्चों को सिखाए खेती के गुर"

लातेहार  : चंदवा जहां एक ओर राजनीति और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में व्यस्त लोग आम जीवन और जमीनी जुड़ाव से दूर हो जाते हैं, वहीं लातेहार जिला अध्यक्ष लाल मोतीनाथ शाहदेव और लातेहार के अपर उपायुक्त (एडीएम) लाल ज्योति नाथ शाहदेव एक अलग ही उदाहरण पेश कर रहे हैं। अपने पद और प्रतिष्ठा से परे जाकर दोनों अधिकारी  रामपुर पैतृक गांव अपने परिवार सहित खेतों में खेती करते नजर आए। यह दृश्य न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि माटी से जुड़ाव और पूर्वजों से प्राप्त संस्कार आज भी जीवित हैं। शनिवार को लातेहार जिले के एक ग्रामीण क्षेत्र में उस समय सभी हैरान रह गए, जब जिला अध्यक्ष लाल मोतीनाथ शाहदेव और एडीएम लाल ज्योति नाथ शाहदेव अपने पारिवारिक खेतों में पूरे परिवार के साथ मेहनत करते नजर आए। उनके साथ उनकी पत्नी, बच्चे, और अन्य पारिवारिक सदस्य भी खेत में हल-बैल चलाने, बुवाई करने और मिट्टी तैयार करने में लगे हुए थे। खुद खेती कर बच्चों को सिखा रहे हैं माटी का मूल्य लाल मोतीनाथ शाहदेव का कहना है कि यह खेती सिर्फ जीविका का साधन नहीं, बल्कि हमारे संस्कार और संस्कृति का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने हमें माटी से प्रेम करना सिखाया है। आज मैं उन्हीं मूल्यों को अपने बच्चों को सिखा रहा हूँ। सत्ता या पद का घमंड नहीं, बल्कि जमीन से जुड़ाव हमें बड़ा बनाता है।” दूसरी ओर, एडीएम लाल ज्योति नाथ शाहदेव, जो प्रशासनिक जिम्मेदारियों के चलते व्यस्त रहते हैं, अपने गांव लौटकर खेत में काम कर यह संदेश दे रहे हैं कि चाहे कोई कितने भी ऊंचे पद पर हो, अपने जड़ों से जुड़े रहना जरूरी है। उन्होंने कहा, “खेतों में पसीना बहाने से जो संतोष मिलता है, वह किसी पद या कुर्सी से नहीं मिल सकता। यह कार्य केवल कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी संस्कारों को आगे बढ़ाने का माध्यम है।” परिवार का सामूहिक श्रम बना मिसाल खेतों में काम करते समय न तो कोई औपचारिकता थी, न ही कोई दिखावा। सभी पारिवारिक सदस्य सामान्य ग्रामीणों की तरह पारंपरिक पोशाक में खेत की तैयारी में जुटे थे। बच्चों को बुआई, निराई, सिंचाई जैसे कार्यों की जानकारी दी जा रही थी। बच्चे भी बेहद उत्साह के साथ खेतों में कार्य कर रहे थे और मिट्टी को महसूस कर रहे थे।यह दृश्य उस वक्त और खास बन गया जब पिता की तरह बच्चों ने भी कहा कि उन्हें यह काम अच्छा लगता है और वे आगे भी खेती करना चाहेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पापा और चाचा (एडीएम) ने उन्हें बताया कि अनाज की एक-एक बूँद कितनी मेहनत से आती है, इसलिए किसी भी चीज की बर्बादी नहीं करनी चाहिए।

ग्रामीणों में खुशी, युवाओं को प्रेरणा लाल मोतीनाथ और लाल ज्योति नाथ को खेत में देखकर आसपास के ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। लोग एकटक देखकर सोचने लगे कि जो लोग आज उच्च पदों पर हैं, वो भी अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं। इससे ग्रामीणों के मन में भी गर्व की भावना उत्पन्न हुई। एक स्थानीय किसान ने कहा, “हमने तो कभी सोचा भी नहीं था कि जिला अध्यक्ष और एडीएम साहब खुद खेत में आएंगे और इस तरह अपने परिवार के साथ काम करेंगे। यह तो हमारे लिए गर्व की बात है और हम युवाओं को इससे सीख लेनी चाहिए कि मेहनत ही असली पहचान है।” संदेश स्पष्ट: पद बड़ा नहीं, कर्म बड़ा होता है यह पूरा दृश्य यह बताने के लिए पर्याप्त है कि जमीन से जुड़ा रहना ही व्यक्ति को महान बनाता है। लाल मोतीनाथ और लाल ज्योति नाथ शाहदेव जैसे जनप्रतिनिधि और अधिकारी अगर खुद खेत में जाकर मिट्टी को प्रणाम करते हैं, तो यह न केवल समाज को संदेश देता है बल्कि युवा पीढ़ी को भी सिखाता है कि परिश्रम, संयम और संस्कार ही सच्ची सफलता की कुंजी है।उनके इस कार्य से यह भी सिद्ध होता है कि आज भी राजनीति और प्रशासन में कुछ लोग हैं जो दिखावे से परे जाकर असली सेवा और उदाहरण पेश करते हैं। इस घटना ने यह दिखा दिया कि यदि इच्छा शक्ति और संस्कार मजबूत हो, तो कोई भी पद या प्रतिष्ठा आपको अपने मूल्यों से दूर नहीं कर सकता। लाल मोतीनाथ शाहदेव और एडीएम लाल ज्योति नाथ शाहदेव का यह प्रयास केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक सामाजिक प्रेरणा बनकर उभरा है। इन दोनों की यह पहल आने वाले दिनों में अनेक लोगों को माटी से जोड़ने और खेती को सम्मान देने की ओर प्रेरित करेगी।

रिपोर्टर : बब्लू खान 

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