वन अधिकार नहीं तो जन आंदोलन तय!" नौ अगस्त तक पट्टा नहीं मिला तो आदिवासी उठाएंगे बिगुल

लातेहार : वन अधिकार कानून 2006 के तहत वर्षों से लंबित व्यक्तिगत और सामुदायिक भूमि दावों को लेकर आदिवासियों का आक्रोश अब सड़कों पर दिखने को तैयार है। सोमवार को संयुक्त ग्राम सभा मंच और ग्राम स्वशासन अभियान के संयुक्त तत्वावधान में कल्याण विभाग परिसर में जन सुनवाई का आयोजन किया गया, जिसमें लातेहार और गढ़वा जिलों के हजारों आदिवासी पहुंचे। अनुमंडल समिति द्वारा 135 व्यक्तिगत दावों की अनुशंसा के बावजूद आज तक पट्टा नहीं मिला। जेम्स हेरेंज कार्यक्रम में जेम्स हेरेंज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बरवाडीह प्रखंड के 22 गांवों द्वारा सामुदायिक वन अधिकार के लिए 16050.5 एकड़ भूमि का दावा किया गया, लेकिन स्वीकृति मात्र 2.7 एकड़ भूमि की हुई, जो कि कुल दावे का 0.1 प्रतिशत से भी कम है।उन्होंने कहा कि लातेहार जिले में 98 सामुदायिक और 1700 व्यक्तिगत दावे अभी भी लंबित हैं। वर्ष 2019 में अनुमंडल समिति द्वारा 135 व्यक्तिगत दावों की अनुशंसा के बावजूद आज तक पट्टा नहीं मिला। जन सुनवाई में लगा आरोप वन विभाग के अधिकार फर्जी मुकदमे लादते है जन सुनवाई में लोगों ने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों को डराते-धमकाते हैं, फर्जी मुकदमे लादते हैं और आदिवासियों के पारंपरिक औजार तक जब्त कर लेते हैं।पूर्व राज्य सलाहकार बलराम ने कहा कि वन अधिकार कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने दावों की स्वीकृति के लिए एक निश्चित समय-सीमा तय करने की मांग की।
दो सौ से अधिक दावों की अनुशंसा की जा चुकी है एसडीएम अजय राजक] वहीं, एसडीएम अजय राजक ने भरोसा दिलाया कि 200 से अधिक दावों की अनुशंसा की जा चुकी है और आगामी 9 अगस्त, 'विश्व आदिवासी दिवस' पर पट्टा वितरण किया जाएगा। प्रतिनिधियों ने साफ कहा जनसुनवाई में मौजूद ग्राम सभा प्रतिनिधियों ने साफ कहा, "अगर 9 अगस्त तक अधिकार पत्र नहीं मिला तो राज्यव्यापी जन आंदोलन होगा।"कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता सुनील मिंज, कविता सिंह खरवार,कन्हाई सिंह महावीर परहिया, श्यामा सिंह, बालकी सिंह समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।
रिपोर्टर : बब्लू खान
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