बालूमाथ मुख्य मार्ग की मरम्मत बनी मजाक, गड्ढे से सोफा हटा लेकिन मरम्मत सिर्फ खानापूर्ति

बालूमाथ :  रांची-चतरा राष्ट्रीय मार्ग की बदहाली अब स्थानीय जनता की नाराजगी से होते हुए प्रशासन की खानापूर्ति तक पहुंच चुकी है। महीनों से खतरनाक खाइयों में तब्दील हो चुके इस मुख्य मार्ग की मरम्मत को लेकर जनदबाव बना मीडिया में खबरें छपीं, और विरोध स्वरूप एक खाई में ‘सोफा’ रखे जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। लेकिन उसके बाद जो मरम्मत की गई। उसने प्रशासनिक गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह वही सड़क है जो झारखंड और बिहार को जोड़ने वाली प्रमुख संपर्क लाइन मानी जाती है। इस पर प्रतिदिन हजारों वाहन जिनमें स्कूली बसें एंबुलेंस और व्यापारिक वाहन शामिल हैं। आवागमन करते हैं। बावजूद इसके विभागीय कार्रवाई सिर्फ दिखावा बनकर रह गई है।

 सोफा हटाया गया, पर मरम्मत के नाम पर डाली गई सिर्फ बजरी और डस्ट 

बालूमाथ छठ तालाब के पास बने गहरे गड्ढे में एक स्थानीय व्यक्ति ने प्रतीकात्मक विरोध करते हुए सोफा रख दिया था। जिसे देखने के बाद विभाग हरकत में आया। लेकिन मौके पर पहुंचकर स्थायी मरम्मत के बजाय केवल डस्ट और छर्री (बजरी) डाल दी गई। रोलर नहीं चलाया गया, न ही डामर या किसी टिकाऊ तकनीक का इस्तेमाल हुआ। स्थानीय दुकानदारों और वाहन चालकों का कहना है कि यह काम मरम्मत नहीं, बल्कि जनता को चुप कराने की कोशिश मात्र है। एक दुकानदार ने तंज कसते हुए कहा जब सड़क पर सोफा रखा गया तो लगा कि अब सरकार जाग गई। लेकिन जो किया गया उससे तो वही पुरानी नींद फिर लौट आई। बारिश होते ही सारी छर्री बह जाएगी और फिर गड्ढा वहीं का वहीं।

 सड़क पर चलना जान जोखिम में डालने जैसा 

स्थानीय लोगों का कहना है कि डस्ट और बजरी की परतें बरसात में सड़क को और अधिक फिसलनभरी बना देती हैं। जिससे दुपहिया चालकों के लिए दुर्घटना की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। गड्ढों से वाहन टकराकर गंभीर चोट या मौत की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।

 प्रशासनिक लापरवाही पर जनप्रतिनिधि भी असंतुष्ट 

जिला परिषद उपाध्यक्ष अनीता देवी ने इस पूरे प्रकरण को लेकर एनएच डिविजन के अभियंता से संपर्क किया था और स्थायी मरम्मत की मांग की थी। लेकिन उन्होंने भी विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा यह मार्ग सिर्फ सड़क नहीं, आम जनता की जीवन रेखा है। विभाग को जवाबदेही के साथ टिकाऊ और गुणवत्तापूर्ण मरम्मत करनी चाहिए। ये आधी-अधूरी कार्रवाई भविष्य में जानलेवा साबित हो सकती है।
उन्होंने सोशल मीडिया और अखबारों के माध्यम से जनता द्वारा उठाए गए मुद्दों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जब जनता सजग होती है तभी व्यवस्था हरकत में आती है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि खाली हरकत नहीं, ठोस परिणाम चाहिए।

रिपोर्टर : मो० अरबाज

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