दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से चंदवा में शोक की लहर, ग्रामीणों ने कहा- एक युग का अंत

चंदवा : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से पूरे चंदवा प्रखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों के लोग इस दुखद घटना से अत्यंत आहत हैं। शिबू सोरेन का इन क्षेत्रों से गहरा जुड़ाव था और आमजन उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते थे। चंदवा के कई गांवों में आज भी उनके चित्र घरों की दीवारों पर देखे जा सकते हैं, जो उनके प्रति लोगों के प्रेम और सम्मान को दर्शाता है।
शिबू सोरेन न केवल एक जननेता थे, बल्कि झारखंडी अस्मिता और आदिवासी अधिकारों के प्रतीक माने जाते थे। चंदवा क्षेत्र में भी उनके नेतृत्व में कई आंदोलनों की नींव पड़ी थी। यहां के लोगों से उनका सीधा संवाद और संपर्क बना रहता था। चाहे कोई राजनीतिक मुद्दा हो या सामाजिक संघर्ष, दिशोम गुरु की भूमिका मार्गदर्शक के रूप में रहती थी।
शोक व्यक्त करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरीय नेता इश्तियाक खान उर्फ पपन खान और काजू राय ने कहा कि "शिबू सोरेन का जाना झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने जिस तरीके से झारखंड को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता।" उन्होंने कहा कि चंदवा की जनता उन्हें हमेशा श्रद्धा और सम्मान के साथ याद रखेगी।
नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। कई जगहों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जा रही हैं। चंदवा के लोगों ने इसे एक युग का अंत बताया है।
रिपोर्टर : बब्लू खान
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