“दशहरा का अलग रंग: जहां रावण को माना जाता है देवता”

भारत में त्योहार सिर्फ उत्सव का नाम नहीं, बल्कि विविधताओं का प्रतीक हैं। दशहरा यानी विजयादशमी भी ऐसा ही त्योहार है, जो देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग ढंग से मनाया जाता है। अधिकांश जगहों पर दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में रावण दहन के साथ मनाया जाता है, लेकिन कुछ विशेष स्थान ऐसे हैं जहां रावण की पूजा होती है और विजयदशमी को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ये परंपरा उन मान्यताओं से जुड़ी है जिसमें रावण को विद्वान, शिवभक्त और पारिवारिक संबंधों में सम्मानित माना जाता है। आइए जानते हैं उन प्रमुख जगहों के बारे में:
1. बिसरख, उत्तर प्रदेश
गौतमबुद्ध नगर का बिसरख गांव रावण की जन्मभूमि माना जाता है। यहां दशहरा के दिन रावण की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा होती है और पुतले का दहन नहीं किया जाता।
2. मंदसौर, मध्य प्रदेश
मंदसौर को रावण की ससुराल कहा जाता है। यहां लोग रावण को दामाद मानकर पूजते हैं। विजयदशमी पर रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि शोक मनाया जाता है और फूल अर्पित किए जाते हैं।
3. कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में कुछ जगहों पर रावण को विद्वान और महाशिवभक्त माना जाता है। दशहरा के दिन यहां उसकी पूजा होती है और इसे सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
4. उज्जैन, मध्य प्रदेश
महाकाल की नगरी उज्जैन में रावण को शिवभक्त मानकर विशेष पूजा की जाती है। कई लोग दशहरा के दिन रावण का व्रत रखते हैं और हवन करते हैं।
5. गदचिरोली, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के गदचिरोली जिले के आदिवासी समुदाय रावण को अपने कुलदेवता के रूप में पूजते हैं। विजयदशमी पर वे उसकी आराधना करते हैं और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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