अटल बिहारी वाजपेयी: भारत ज़मीन का टुकड़ा नहीं

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को एक बार नहीं बल्कि तीन बार इस देश के प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ.  वो सिर्फ एक नेता नहीं थे, ये उन विरले नेताओं में से थे, जिनका महज साहित्य में झुकाव भर नहीं था बल्कि वो खुद कविताएं भी लिखते थे. उन्होनें  विविध मंचों से लेकर संसद में अपनी कविताओं का सस्वर किया है . उनकी कविताओं की एल्बम को जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ दी है. आज 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर पढ़िए उनकी कविता- भारत ज़मीन का टुकड़ा नहीं 

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है. हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं. पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं. कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है. यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है, यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है. इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है. हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए.

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