बेहतरीन हिंदी शायरी : ख़ुद से रूठे हैं हम लोग , टूटे-फूटे हैं हम लोग

'ग़ज़ल' उर्दू साहित्य की काफी लोकप्रिय विधा रही है, जिसका मतलब होता है माशूका से गुफ्तगू। समय के साथ यह विधा हिंदी में भी आई और अब हिंदी में भी ग़ज़ल उतनी ही मान्य है जितनी कि उर्दू में। हिंदी में दुष्यंत कुमार और अदम गोंडवी जैसे शायरों ने ग़ज़ल को जीवन विभिन्न संघर्षों से जोड़ा है। इसके ज़रिए बस कुछ अलफ़ाज़ में ही अपनी बात कहने की क्षमता होती है। आईये नज़र डालते है हिंदी के कुछ बेहतरीन शेर पर- 

1.अपना दरवाज़ा ख़ुला रखता है हमेशा 'नीरज'
ज़िंदगी आती है, आती है मगर चुपके से

2.जगह, कुदाल, कुआं सब तलाश कर लेंगे 
मैं सिर्फ़ सोई हुई प्यास को जगाता हूं 

3.कुछ तो अपने और मेरे दरमियां रहने दे 
दूरियां चुभती हैं, फिर भी दूरियां रहने भी दे 

4. पानी को काग़जों में बांधने की ज़िद न कर 
मन है, इसे हदों में बांधने की ज़िद न कर 

5.ऐसी काई है अब मकानों पर 
धूप के पांव भी फिसलते हैं

6. ख़ुद से रूठे हैं हम लोग 
टूटे-फूटे हैं हम लोग 
सत्य चुराता नज़रें हमसे 
इतने झूठे हैं हम लोग 

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