गोपालदास सक्सेना: रोने वाला ही गाता है!

गोपालदास सक्सेना का जन्म 4 जनवरी 1925 को भारत के उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के महेवा के पास पुरावली गाँव में हुआ था। नीरज द्वारा लिखी गई कई कविताओं और गीतों का इस्तेमाल हिंदी फिल्मों में किया गया है। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे और हिंदी और उर्दू दोनों में पारंगत थे । गोपालदास नीरज के लिखे फ़िल्मी-गीतों को लोगों ने काफी प्यार से गुनगुनाया है, ऐसे ही उनके द्वारा लिखी हुई कविताओं को भी पढ़ा गया। आईये पढ़ते हैं उनके द्वारा लिखी हुई कविता "रोने वाला ही गाता है"!


रोने वाला ही गाता है!
मधु-विष हैं दोनों जीवन में

दोनों मिलते जीवन-क्रम में
पर विष पाने पर पहले मधु-मूल्य अरे, कुछ बढ़ जाता है।

रोने वाला ही गाता है!
प्राणों की वर्त्तिका बनाकर

ओढ़ तिमिर की काली चादर
जलने वाला दीपक ही तो जग का तिमिर मिटा पाता है।

रोने वाला ही गाता है!
अरे! प्रकृति का यही नियम है

रोदन के पीछे गायन है
पहले रोया करता है नभ, पीछे इंद्रधनुष छाता है।

रोने वाला ही गाता है!

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