"आँसू" जयशंकर प्रसाद की एक प्रसिद्ध काव्यरचना

"आँसू" जयशंकर प्रसाद जी की एक प्रसिद्ध काव्यरचना है। यह कविता उनकी भावनात्मक गहराई, संवेदनशीलता और आत्मिक पीड़ा का प्रतीक है। यह काव्य संग्रह भी "आँसू" नाम से ही प्रकाशित हुआ था, और यह छायावाद युग का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
उन्होंने 'आँसू' काव्य का आधार-पात्र किसी नायिका को न मानकर 'प्रेम' तत्त्व को माना जो न तो स्त्री है न पुरुष। उनका छन्द इस प्रकार है :
ओ मेरे मेरे प्रेम विहँसते, तू स्त्री है या कि पुरुष है!
दोनों ही पूछ रहे हैं कोमल है या कि परुष है ?
उनको कैसे समझाऊँ तेरे रहस्य की बातें,
जो तुझको समझ चुके हैं अपने विलास की घातें !
"आँसू" संग्रह :यह रचना उनके प्रेम की स्मृति पर आधारित मानी जाती है। हर कविता मानो एक भावनात्मक चित्र है, जो दिल को छू जाती है।भाषा बेहद सांगीतिक, कोमल और चित्रात्मक है।
No Previous Comments found.