फणीश्वर नाथ रेणु: नूतन का अभिनंदन हो, प्रेम-पुलकमय जन-जन हो!

फणीश्वर नाथ रेणु एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक थे और उनका जन्म 4 मार्च 1921 को हुआ था. रेणु को हिंदी साहित्य आंदोलन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है, खासकर बिहार के ग्रामीण परिवेश में. उनकी रचनाएं ग्रामीण भारत के संघर्षों, आशाओं और जीवन शैली को दर्शाती हैं जो अक्सर सामाजिक यथार्थवाद से ओतप्रोत होती हैं.  उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास- मैला आंचल, ग्रामीण जीवन और मानवीय भावनाओं का विशद चित्रण है. रेणु का लेखन उनकी मातृभूमि की संस्कृति में गहराई से निहित था, जिसमें बिहार की बोलियों और परंपराओं पर जोर दिया गया था. किसान, जम्मू काशी और बिहार की विधवा जैसी उनकी किताबों ने आधुनिक हिंदी साहित्य पर अमिट छाप छोड़ी है. आईये पढ़ते हैं उनके द्वारा लिखी हुई कविता “नूतन वर्षाभिनंदन”, जो कुछ इस प्रकार है:

नूतन का अभिनंदन हो
प्रेम-पुलकमय जन-जन हो!
नव-स्फूर्ति भर दे नव-चेतन
टूट पड़ें जड़ता के बंधन;
शुद्ध, स्वतंत्र वायुमंडल में
निर्मल तन, निर्भय मन हो!

प्रेम-पुलकमय जन-जन हो,
नूतन का अभिनंदन हो!

प्रति अंतर हो पुलकित-हुलसित
प्रेम-दिए जल उठें सुवासित
जीवन का क्षण-क्षण हो ज्योतित,
शिवता का आराधन हो!
प्रेम-पुलकमय प्रति जन हो,
नूतन का अभिनंदन हो!

-फणीश्वरनाथ रेणु

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