"तारों सी उम्मीदें" - टूटे पलों के धागों से नये ख्वाब हम चुनते हैं

यह कविता जीवन की कठिनाइयों और अंधेरों के बीच उम्मीद की रौशनी की बात करती है। जिसमें कवि कहता है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हौसला है और विश्वास है, तो रास्ते बनते हैं।हर टूटे पल से भी कुछ नया सीखा जा सकता है। पेश है "तारों सी उम्मीदें" कविता-
चाँदनी रात में बैठे,
कुछ सपने बुनते हैं,
टूटे पलों के धागों से
नये ख्वाब हम चुनते हैं।
हर अंधेरे में रोशनी की
कोई किरण मिल जाती है,
बस दिल से जो पुकारो,
वो राह बन जाती है।
तूफानों से डरे नहीं हैं,
कश्ती अब भी चलती है,
जिनमें हौसला होता है,
उनकी तक़दीर भी पलती है।
ख़ामोशियों के इस आलम में,
शब्दों की लौ जलाते हैं,
हम उम्मीदों की दुनिया में
हर रोज़ नये रंग भर जाते हैं।
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