कहानी: सच्ची दौलत - सच्ची दौलत सोना नहीं..

एक गाँव में एक गरीब लड़का रहता था। उसका नाम अर्जुन था। वह हर रोज़ जंगल से लकड़ियाँ काटकर शहर में बेचता और किसी तरह अपने परिवार का पेट पालता।

एक दिन उसे जंगल में एक बूढ़ा साधु मिला। साधु ने अर्जुन से कहा,“बेटा, मैं प्यासा हूँ, क्या तुम मुझे पानी ला सकते हो?”

अर्जुन ने तुरंत अपना पानी का लोटा साधु को दे दिया। साधु मुस्कुराए और बोले,
“तू बहुत अच्छा बालक है। मैं तुझे एक तोहफा देना चाहता हूँ।”

साधु ने अर्जुन को एक छोटी सी धातु की गोली दी और कहा,
“इसे किसी भी धातु से स्पर्श करवा, वह सोने में बदल जाएगी। लेकिन एक शर्त है — इसका असर सिर्फ एक दिन रहेगा।”

अर्जुन खुश हुआ, लेकिन फिर सोचने लगा — "मैं इसे खुद इस्तेमाल कर सकता हूँ, लेकिन अगर मैं इसे पूरे गाँव के लिए इस्तेमाल करूँ, तो सबकी ज़िंदगी बदल सकती है।"

अर्जुन ने गाँव लौटकर सबको इकट्ठा किया और उस दिन पूरे गाँव के टूटे-फूटे औज़ार, बर्तन, और लोहे की चीज़ें सोने में बदल दीं। सब खुश हो गए।

शाम को साधु फिर आया। उसने अर्जुन से पूछा,
“बेटा, तूने इस गोली का क्या किया?”

अर्जुन ने मुस्कुराकर कहा,
“मैंने इसे अपने लिए नहीं, सबके लिए इस्तेमाल किया।”

साधु खुश होकर बोला,
“बेटा, आज तूने बता दिया कि सच्ची दौलत सोना नहीं, परमार्थ और सेवा है। तेरे जैसे लोग ही दुनिया को बदलते हैं।”

सीख:
सच्ची दौलत केवल धन नहीं, दूसरों के लिए जीने में है।

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