अंतिम पन्ना-"ज़िंदगी एक किताब है, हर पन्ने को ध्यान से पढ़ना"

रवि रोज़ सुबह की तरह स्टेशन पर अख़बार बेच रहा था। उसकी उम्र केवल 12 साल थी, लेकिन आँखों में समझदारी बड़ों जैसी थी। एक दिन एक सज्जन ने उससे अख़बार खरीदा और चुपचाप बेंच पर बैठकर पढ़ने लगे।
अचानक उनकी नज़र रवि पर गई। रवि एक किताब के फटे हुए पन्ने को ध्यान से पढ़ रहा था।
सज्जन ने पूछा, “बेटा, क्या पढ़ रहे हो?”
रवि मुस्कराया, “साहब, ये कहानी का अंतिम पन्ना है। बहुत दिन से पूरी किताब ढूंढ रहा हूँ, लेकिन बस यही मिला।”
सज्जन भावुक हो गए। उन्होंने अपना बैग टटोला और एक नई किताब निकालकर रवि को दी।
रवि की आँखें चमक उठीं। उसने सिर झुका कर कहा, “धन्यवाद, साहब! अब पूरी कहानी जान पाऊँगा।”
सज्जन मुस्कराए, “बेटा, ज़िंदगी भी एक किताब है। हर पन्ने को ध्यान से पढ़ना, और कोशिश करना कि अंत हमेशा अच्छा हो।”
सीख:
हर इंसान की कहानी अधूरी हो सकती है, लेकिन अगर हम थोड़ा ध्यान दें, तो किसी की अधूरी कहानी को पूरा करने का मौका हमें भी मिल सकता है।
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