जावेद अख़्तर : मशहूर गीतकार और मक़बूल शायर

जावेद अख़्तर मशहूर गीतकार होने के साथ-साथ मक़बूल शायर भी हैं जिन्होंने जितने गीत सिनेमा को दिए, उतने ही ख़याल मंच से भी दिए। गीत तो कितनी बार ही हमने सुने ही हैं लेकिन अब उनकी ग़ज़लों से कुछ मशहूर शेर भी पढ़ते हैं। पेश है उनके कुछ चुनिंदा शेर- 

बात तो छेड़ मिरे दिल कोई क़िस्सा तो सुना
क्या अजब उन के भी जज़्बात अजब से हो जाएँ 

कोई शिकवा न ग़म न कोई याद
बैठे बैठे बस आँख भर आई     
कैसे दिल में ख़ुशी बसा लूँ मैं
कैसे मुट्ठी में ये धुआँ ठहरे

अब तक है कोई बात मुझे याद हर्फ़ हर्फ़
अब तक मैं चुन रहा हूँ किसी गुफ़्तुगू के फूल 
तुम फ़ुज़ूल बातों का दिल पे बोझ मत लेना
हम तो ख़ैर कर लेंगे ज़िंदगी बसर तन्हा 

तर्क करना है गर तअ'ल्लुक़ तो
ख़ुद न जा तू किसी से कहला दे 
हम से वा'दा था इक सवेरे का
हाए कैसा मुकर गया सूरज 

तुम बैठे हो लेकिन जाते देख रहा हूँ
मैं तन्हाई के दिन आते देख रहा हूँ    
ख़ून से सींची है मैं ने जो ज़मीं मर मर के
वो ज़मीं एक सितम-गर ने कहा उस की है

उस के बंदों को देख कर कहिए
हम को उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे 

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