लघु कथा: “मैंने कुछ नहीं लिया था…”

रवि सातवीं कक्षा में पढ़ता था। होशियार, शांत और मां का बेहद प्यारा। एक दिन घर के पास की दुकान से चिप्स का पैकेट गायब हो गया। दुकानदार ने शक के घेरे में रवि का नाम लिया। मां को खबर लगी, तो उन्होंने गुस्से में सबके सामने रवि को डांट दिया।

“शर्म नहीं आती? चोरी करेगा अब?”
रवि कुछ नहीं बोला… बस चुपचाप चला गया।

शाम होते-होते रवि के कमरे से कोई हलचल नहीं हुई। दरवाजा तोड़ा गया… और अंदर पड़ी एक चिट्ठी में लिखा था:

“मां, मैंने चिप्स नहीं चुराए थे…
मुझे बस आपकी डांट से नहीं, आपकी नजरों में गिरने से तकलीफ हुई…
अब मैं कभी झूठा साबित नहीं होऊंगा।”

मां टूट चुकी थीं… और समझ चुकी थीं कि बच्चे की भावनाएं कितनी नाजुक होती हैं।

संदेश:
हर गलती पर डांटना ज़रूरी नहीं होता। कभी-कभी एक समझ भरी बात, एक भरोसे भरी नज़र, किसी टूटते मन को बचा सकती है।


 

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