"संघर्ष की ज्वाला"- जीना है तो रास्ता खुद बनाना है

यह कविता इस भावना को दर्शाती है, कि कैसे संघर्ष इंसान को सफलता की ओर ले जाता है। कविता में बताया गया है कि जीवन में जो भी कठिनाइयाँ आती हैं, वे हमारी परीक्षा लेती हैं, लेकिन जो व्यक्ति हिम्मत नहीं हारता, वही अंत में सफलता प्राप्त करता है। पेश है कविता "संघर्ष की ज्वाला"

संघर्ष वो अग्नि है, जो भीतर से जलाती है,
कमज़ोरी की जंजीरों को, चुपचाप पिघलाती है।

रास्ते कांटों से भरे हों, फिर भी चलना पड़ता है,
जो रुक जाए डर के मारे, वो जीत क्या करेगा भला?

पसीने से लिखी कहानी, आँसुओं से सींची जाए,
जब तक न हो दिल में आग, तब तक राह न सुझाए।

हर दर्द, हर ठोकर, कुछ सिखाने आई है,
संघर्ष की यही रीत है, जो रुलाए वही हँसाए है।

मत डर तू इन रातों से, सुबह जरूर आएगी,
हर तूफान के बाद ही, एक नई राह बनाएगी।

संघर्ष ही जीवन की असली परिभाषा है,
जो इससे लड़े, वही सच्चा राजा है।

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