लघु कथा: "जवाब"

रवि रोज़ ऑफिस से लौटते वक्त फुटपाथ पर बैठे उस बूढ़े आदमी को देखता था। झुकी पीठ, फटे कपड़े, और सामने एक तख्ती —
"भूखा हूँ, मदद करें।"
रवि अक्सर नजरें चुरा कर निकल जाता।
एक दिन उसके बेटे ने पूछा,
"पापा, आप उस दादाजी को कुछ क्यों नहीं देते?"
रवि ने जवाब दिया, "कौन जाने असली में ज़रूरतमंद हैं या दिखावा कर रहे हैं।"
बेटा चुप हो गया।
अगले दिन, रवि घर लौटते वक्त हैरान रह गया। उसका बेटा उस बूढ़े आदमी को बिस्किट और पानी दे रहा था।
रवि ने गुस्से से पूछा, "क्यों दिया उसे? अगर वो झूठा निकला तो?"
बेटा बोला,
"अगर वो झूठा है, तो उसे भगवान सज़ा देंगे। लेकिन अगर वो सच्चा है और हमने कुछ नहीं किया, तो हमें क्या मिलेगा?"
रवि निःशब्द रह गया।
आज उसे जवाब मिल गया था — अपने ही बेटे से।
संदेश:
निःस्वार्थ दया और करुणा सबसे बड़ी इंसानियत है।
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