लघु कथा : आत्म-सम्मान की कीमत

एक छोटे से गाँव में राधा नाम की एक युवती रहती थी। वह गरीब थी, पर आत्मसम्मान से भरी हुई। गाँव के अमीर जमींदार सेठ गोपाल को उसकी सुंदरता और कर्मठता भा गई। उसने राधा के सामने प्रस्ताव रखा — "तुम्हारे परिवार को मैं धन से भर दूँगा, बस तुम मेरे घर काम करो और मेरे हर आदेश का पालन करो।"
राधा ने मुस्कराकर जवाब दिया —
"सेठजी, गरीबी में रहना कठिन है, लेकिन आत्मसम्मान खोकर जीना उससे भी कठिन। मेहनत से कमाकर पेट पाल लूंगी, पर आत्मसम्मान गिरवी नहीं रखूंगी।"
सेठ हतप्रभ रह गया। राधा ने खेतों में दिन-रात मेहनत की और धीरे-धीरे अपनी छोटी सी दुकान खोल ली। आज गाँव में लोग उसकी ईमानदारी और आत्मसम्मान की मिसाल देते हैं।
सीख:
आत्म-सम्मान सबसे बड़ा धन है, जिसे खोकर कोई भी खुशी अधूरी रह जाती है।
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