लघु कथा: किस्मत का खेल

एक गाँव में रामू नाम का गरीब किसान रहता था। दिन-रात मेहनत करता, लेकिन हालत नहीं सुधरती। वह अक्सर आसमान की ओर देखकर कहता,"किस्मत ही खराब है, वरना मेहनत में तो कोई कमी नहीं।"
एक दिन गाँव में एक साधु आए। रामू ने जाकर उनसे अपनी दुखभरी कहानी कही।साधु मुस्कराए और बोले,
"किस्मत रास्ता नहीं बनाती, वह मौका देती है। रास्ता तुम्हें खुद बनाना पड़ता है।"
रामू ने पूछा,"कैसे?"साधु बोले,"कल सुबह सूरज उगने से पहले नदी किनारे जाना। वहाँ तुम्हें जो पहली चीज दिखे, वही तुम्हारी किस्मत है।"रामू उत्साहित हो गया। अगले दिन सुबह-सुबह वह नदी किनारे गया। वहाँ उसे एक टूटा हुआ घड़ा मिला। वह निराश होकर घड़ा उठाकर घर लौटा। घर आकर देखा — घड़े के अंदर सोने के कुछ सिक्के छुपे हुए थे। शायद किसी पुराने समय का खजाना था।
रामू समझ गया —कभी-कभी किस्मत हमारे सामने होती है, बस हमें उसे पहचानने की समझ और धैर्य चाहिए।
संदेश:
किस्मत हमेशा आपके साथ होती है, फर्क सिर्फ इतना है कि क्या आप उसे देख पाते हैं या नहीं।
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