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MONSOON SPECIAL : "बरसात की वो पहली फुहार"

बारिश से जुड़ी भावनात्मक कविता जो बारिश की सुंदरता, उसका प्रभाव, और उससे जुड़ी मानवीय संवेदनाओं को गहराई से दर्शाती है: यह कविता सिर्फ पानी की बात नहीं करती — यह भावनाओं की बारिश है। इसमें प्रेम, बचपन की यादें, प्रकृति की सुंदरता, और जीवन की कोमलता सब कुछ समाया हुआ है। पेश है बारिश के मौसम में बारिश से जुड़ी भावनात्मक कविता- "बरसात की वो पहली फुहार"

जब आसमान पर काले बादल छा जाते हैं,
मन के सूने कोनों में भी उजाले भर जाते हैं।
धीरे-धीरे जब हवा गुनगुनाने लगती है,
हर शाख, हर पत्ता मुस्कराने लगता है।

पहली बूंद जब धरती को छूती है,
सोंधी-सोंधी महक हवाओं में घुलती है।
जैसे माँ की ममता का कोई आँचल हो,
जो थके-हारे मन को सुकून सा दे जाता हो।

नन्हें बच्चे दौड़ते हैं गलियों में,
कागज़ की नावें बहती हैं नालियों में।
छोटे-छोटे पैर, कीचड़ से सने,
पर चेहरे पे मुस्कान, कितनी सच्ची और बने।

चाय की प्याली और पकौड़े गरम,
खिड़की के पास बैठा हर दिल हो जाए नरम।
कभी किताबों में खो जाना बारिश के संग,
तो कभी ख्वाब बुनना उन गिरती बूंदों के रंग।

प्रेमी जोड़े चलें छतरी तले साथ,
भीगते अरमानों की लहरें लाएं बातों में बात।
बरसात सिर्फ पानी नहीं लाती,
यह तो दिलों की दूरी भी मिटा जाती।

बूंदों की वो टिप-टिप साज़ बन जाती है,
हर थकी-हारी रूह को आवाज़ बन जाती है।
कभी उदासी का मरहम, कभी उमंग की लहर,
बारिश है जीवन की एक सुंदर कहर।

 

 

 

 

 

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