लघु कथा : "डिजिटल दूरी"- तकनीक और मानवीय संबंध

आरव और उसके दादाजी कभी बहुत बातें किया करते थे। पर अब आरव दिनभर मोबाइल, लैपटॉप और ऑनलाइन गेम्स में व्यस्त रहता। दादाजी कुछ कहते तो आरव कहता,
"दादाजी, प्लीज़! अभी मीटिंग है, बाद में बात करेंगे।"
एक दिन दादाजी ने चुपचाप अपना पुराना फोन उठाया, और यू-ट्यूब से "वीडियो कॉल कैसे करें" सीखा।
अगले दिन आरव को दादाजी का वीडियो कॉल आया — वो चौंक गया।
"दादाजी आप...?!"
दादाजी मुस्कुराए,
"अब से मैं भी डिजिटल हो गया हूँ बेटा... ताकि तुझसे बात कर सकूँ।"
आरव की आंखें भर आईं। उसने फोन रखा, लपक कर दादाजी के कमरे में गया और बोला,
"आज से मेरा सबसे ज़रूरी मीटिंग — आपके साथ है।"
सीख:
तकनीक दूरी नहीं, संबंध जोड़ने का ज़रिया भी बन सकती है — अगर सही से इस्तेमाल हो।
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