अमेरिकी कवि चार्ल्स बुकोव्स्की की कविता- घरेलू बिल्ला

चार्ल्स बुकोव्स्की  एक प्रसिद्ध अमेरिकी कवि, उपन्यासकार और लघु कथा लेखक थे। वे अपनी विद्रोही शैली, बेबाक भाषा और हाशिये पर जीने वाले किरदारों के चित्रण के लिए जाने जाते हैं. उनका काम अक्सर शराब, महिलाओं, अकेलेपन, गरीबी और लेखन की कठिनाइयों जैसे विषयों पर केंद्रित होता था. बुकोव्स्की का जन्म 16 अगस्त, 1920 को जर्मनी में हुआ था और 9 मार्च, 1994 को उनका निधन हो गया था. उन्होंने अपने जीवन में कई तरह की नौकरियां कीं, जिनमें डाकघर में काम करना भी शामिल था, और बाद में उन्होंने अपने लेखन में इन अनुभवों को शामिल किया. पेश है उनके द्वारा लिखी हुई कविता "घरेलू बिल्ला". 

उसने नीली जीन्स और टेनिस के जूते पहने हैं 

और वो दो जवान लड़कियों के साथ चल रहा है 
जो तकरीबन उसकी उम्र की हैं। 
हर थोड़ी देर में वो हवा में 
छलांग लगाता और 
अपनी एड़ियाँ हवा में खटकाता। 

वो घोड़े के बच्चे सा है 
पर किसी कारण वो मुझे किसी घरेलु भूरे 
बिल्ले की ज़्यादा याद दिलाता है। 
 
उसका पिछवाड़ा मुलायम है और 
उसके विचारों में 
पिस्सू से ज़्यादा कुछ नहीं। 

वो अपनी लड़कियों के पीछे छलाँग लगाता 
अपनी एड़ियां हवा में खटकाता है। 

फिर वो एक के बाल खींचता है 
दूसरी की ओर भागता है और 
उसकी गर्दन दबोचता है। 
 
उसने दोनों के साथ मज़े लिए हैं और 
अपने से बहुत खुश है। 
सब कुछ उसके लिए 
बड़ी आसानी से हुआ है। 

और मैं सोचता हूँ, आह, 
मेरे घरेलू बिल्ले 
कैसे दिन और कैसी रातें 
तेरे इन्तिज़ार में हैं। 
 
तेरा मुलायम पिछवाड़ा 
तेरा अंत होगा। 
तेरी पीड़ा 
अंत हीन होगी 
और ये लड़कियाँ 
जो आज तेरी हैं 
जल्द ही और आदमियों की हो जाएँगी 
जिन्हें अपना बिस्कुट 
और अपना मक्खन इतनी आसानी से 
और इतनी जल्दी नहीं मिला। 

लड़कियाँ तुम पर अभ्यास कर रही हैं 
लड़कियाँ अभ्यास और आदमियों के लिए कर रही हैं 
किसी ऐसे के लिए जो जंगल से आया हो 
किसी ऐसे के लिए जो शेर के पिंजरे से निकला हो। 
 
मैं मुस्कराता हूँ 
तुम्हें उनके साथ चलता देख 
अपनी एड़ियाँ हवा में खटखटा देख। 

हे भगवान ! छोरे,
मैं डरता हूँ तेरे लिए 
उस रात की सोच कर 
जब तुझे पहली बार पता चलेगा। 

अभी तो सूरज निकला है। 

उछल 
जब तक 
उछल सकता है। 

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