"आनंद बख्शी के गीत: सरलता में छिपा भावों का समंदर"

आनंद बख्शी का जन्म  21 जुलाई 1930 को रावलपिंडी, पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में हुआ था. वे वैद वंश के मोहयाल ब्राह्मण परिवार से थे. 

भारत के विभाजन (1947) के दौरान उनका परिवार भारत आ गया। विभाजन के बाद उन्होंने दिल्ली, पुणे और मेरठ में समय बिताया और अंततः उनका परिवार दिल्ली में बस गया।

आनंद बख्शी एक प्रसिद्ध भारतीय गीतकार थे, जिनका नाम हिंदी फिल्म संगीत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उनका पूरा नाम बख्शी आनंद प्रकाश वैद था। वे न केवल एक बेहद सफल गीतकार थे, बल्कि उनके लिखे गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

करियर की शुरुआत में उन्होनें  भारतीय नौसेना में नौकरी की थी। फिर बाद में उनकी फिल्मी करियर की शुरुआत 1958 में फिल्म "भला आदमी" से हुई। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक 1965 में फिल्म "जब जब फूल खिले" से मिला, जिसके गाने काफी लोकप्रिय हुए।

उन्होंने करीब 3500 से अधिक गीत लिखे।1960 से 2000 तक हर दशक में उन्होंने सुपरहिट गीत दिए।उन्होंने एल. पी., आर. डी. बर्मन, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, और नदीम-श्रवण जैसे कई बड़े संगीतकारों के साथ काम किया।लता मंगेशकर, किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले आदि गायकों की आवाज़ में उनके कई गीत अमर हो गए।

"जब जब फूल खिले..." (फिल्म: जब जब फूल खिले), "मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू..." (फिल्म: अराधना),"धीरे-धीरे से मेरी ज़िंदगी में आना..." (फिल्म: आशिकी),"तुझे देखा तो ये जाना, सनम..." (फिल्म: दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे), "सजदा तेरा सजदा..." (फिल्म: मुझसे शादी करोगी) ये सब उनके कुछ  प्रसिद्ध गीतों के उदाहरण है. 

आनंद बख्शी के गीतों की विशेषताएँ (विशेषताएं) उन्हें अन्य गीतकारों से अलग और असाधारण बनाती हैं। उनके गीतों में आम जीवन की सरलता, भावनाओं की गहराई, और जनमानस से जुड़ाव साफ दिखाई देता है। 

उन्हें कई बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए नामांकित किया गया और उन्होंने ये पुरस्कार भी जीते।उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

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