कहानी: बीरबल की चतुराई

एक बार अकबर बादशाह के दरबार में एक व्यापारी आया और बोला,
"जहाँपनाह! मेरी दुकान से किसी ने चाँदी का कीमती हार चुरा लिया है। आप मुझे न्याय दिलाइए।"
बादशाह ने बीरबल से कहा, "बीरबल, यह चोर को पकड़ना तुम्हारा काम है।"
बीरबल ने सभी दुकानदारों और कर्मचारियों को बुलाया और उन्हें एक-एक लकड़ी की छड़ी दी। उसने कहा, "ये सभी जादुई छड़ियाँ हैं। चोर की छड़ी कल तक एक इंच बड़ी हो जाएगी।"
सभी लोग छड़ी लेकर घर चले गए। अगले दिन सबने अपनी-अपनी छड़ी दरबार में लाकर दी। बीरबल ने छड़ियाँ देखीं और तुरंत एक व्यक्ति को पकड़ कर कहा, "यही चोर है!"
बादशाह हैरान होकर बोले, "तुमने कैसे पहचाना, बीरबल?"
बीरबल मुस्कराया और बोला,
"जहाँपनाह, चोर डर के मारे रात को अपनी छड़ी एक इंच काट लाया था, ताकि वह बढ़ने पर पकड़ा न जाए। पर जादू तो केवल उसके मन में था।"
बादशाह बीरबल की चतुराई पर बहुत प्रसन्न हुए।
संदेश:
बुद्धिमानी (चतुराई) केवल पढ़ाई-लिखाई से नहीं आती, बल्कि स्थिति को सही समय पर सही तरीके से समझने की कला है। डर हमेशा चोर के मन में होता है, इसलिए चतुर व्यक्ति बिना लड़ाई के भी सच सामने ला सकता है।
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