INDEPENDENCE DAY SPECIAL: "तिरंगे की गूँज: स्वतंत्रता दिवस की पाँच कविताएँ"

"स्वतंत्रता दिवस — सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं, बल्कि हमारी आज़ादी, बलिदान और गर्व की पहचान है। 15 अगस्त 1947 को हमने आज़ादी की सुबह देखी, और तभी से यह दिन हमें उन वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। आज हम तिरंगे की छाँव में खड़े होकर, अपनी मातृभूमि को नमन करते हैं और एक बेहतर भारत बनाने का संकल्प लेते हैं।

आईए, इस पावन अवसर पर कुछ पंक्तियों के माध्यम से हम सब मिलकर देशभक्ति की भावना को फिर से जी लें।" पेश हैं 15 अगस्त के मौके पर कुछ खास और देशभक्ति कविताएं- 


1. तिरंगे की शान
हर सुबह सूरज जब निकले,
आँगन में फैली रौशनी,
तिरंगा लहराए नभ में,
कह दे अपनी कहानी।

सफेद सिखाए सत्य का रस्ता,
हरा हो आशा की निशानी,
केसरिया साहस का दीपक,
भारत माँ की अमर जुबानी।

2. आज़ादी का गीत
आज है आज़ादी का पर्व महान,
झूम उठो भारत के वीर जवान,
बलिदानों से सींची धरती,
गूँजे हर कोने में जयगान।

हमने संग लहराया सपना,
सत्य-अहिंसा का दीप जलाया,
नमन है उन शहीदों को,
जिनने भारत माँ को सजाया।

3. बलिदान की गाथा
कितनी माँओं ने बेटे खोए,
कितनी बहनों के भाई गए,
कितने फूल खिले न लौटे,
कितने सपने सदा सोए।

उनके खून से रंगा तिरंगा,
उनके साहस से खिला चमन,
हम भी प्रण करें आज के दिन,
न देंगे व्यर्थ उनका जीवन।

4. मेरा भारत महान
सागर सा गहरा, हिमालय सा ऊँचा,
माटी इसकी चंदन जैसी,
गंगा-यमुना की पावन धारा,
हर दिल में गूँजे देश-उपासना वैसी।

हिंदी, तमिल, पंजाबी, बंगाली,
सभी रंग यहाँ इकट्ठे खिलते,
भारत की गोद में रहते,
हम सब एक साथ मिलते।

5. स्वतंत्रता की कसम
न आँख झुकेगी, न सिर झुकेगा,
हर संकट से हम भिड़ेंगे,
जब तक भारत जिये जग में,
हम यूँ ही उसकी रक्षा करेंगे।

तिरंगे तले खड़ी ये प्रतिज्ञा,
हर पीढ़ी निभाएगी,
स्वतंत्रता का ये प्यारा बाग़,
सदियों तक महकाएगी।

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