JNAMASTHMI SPECIAL: जन्माष्टमी की कथा- विवाह के समय हुई आकाशवाणी

बहुत समय पहले मथुरा के राजा कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था। देवकी का विवाह वसुदेव जी से हुआ। विवाह के समय आकाशवाणी हुई –

"कंस! जिस बहन को तू इतना चाहता है, उसका आठवाँ पुत्र ही तेरा संहार करेगा।"

यह सुनकर कंस घबरा गया और उसने देवकी व वसुदेव को कारागार में डाल दिया। देवकी के जो भी बच्चे होते, कंस उन्हें मार डालता।

जब आठवाँ पुत्र हुआ – अर्थात भगवान श्रीकृष्ण – तब चमत्कार हुआ।
कारागार के पहरेदार सो गए, बेड़ियाँ खुल गईं और दरवाज़े अपने आप खुल गए। वसुदेव जी शिशु कृष्ण को टोकरी में रखकर यमुना नदी पार कर गोकुल ले गए और वहाँ नंद बाबा और यशोदा मैया के घर रख आए। बदले में वे उनकी पुत्री को कारागार में ले आए।

सुबह जब कंस ने उस बालिका को मारने की कोशिश की, तो वह देवी का रूप धारण कर आकाश में चली गई और बोली –
"अरे मूर्ख! तेरा संहार करने वाला तो जन्म ले चुका है।"

इस तरह भगवान कृष्ण का जन्म हुआ और आगे चलकर उन्होंने अत्याचारों का अंत किया।

सीख- जन्माष्टमी हमें यह सिखाती है कि जब-जब अन्याय और अधर्म बढ़ता है, तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेकर धर्म की रक्षा करते हैं।

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