"अमृतलाल नागर : साहित्य, संस्कृति और संवेदना के पुरोधा"

आज, 17 अगस्त अमृतलाल नागर का जन्मदिन है।आज हिंदी साहित्य जगत के लिए एक स्मरण और प्रेरणा का दिन है। वे हिंदी साहित्य के बहुमुखी और लोकप्रिय साहित्यकारों में से एक थे। वे मूलतः लखनऊ के थे और हिंदी कथा-साहित्य को नई दृष्टि देने वाले रचनाकार माने जाते हैं। 23 फरवरी 1990 को वे इस संसार से विदा हो गए, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
उनकी रचनाएँ ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण और निबंध – लगभग हर विधा में लिखते रहे। उनके उपन्यास मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल, शतरंज के मोहरे और संस्मरण गदर के फूल आज भी पाठकों को उसी तरह आकर्षित करते हैं जैसे अपने प्रकाशन काल में करते थे। उनकी लेखनी में जहाँ ऐतिहासिक दृष्टि थी, वहीं लोकसंस्कृति की सहजता और हास्य-व्यंग्य की मिठास भी मिलती है।
साहित्यिक योगदान
- उपन्यासकार – मानस का हंस, शतरंज के मोहरे, नाच्यौ बहुत गोपाल, सेठ बाँकेमल जैसे कालजयी उपन्यास लिखे।
- कहानीकार – उनकी कहानियों में मानवीय जीवन की गहरी संवेदनाएँ और सामाजिक यथार्थ झलकता है।
- नाटककार और संस्मरणकार – गदर के फूल जैसे संस्मरण स्वतंत्रता संग्राम और जनजीवन की झलक प्रस्तुत करते हैं।
- अनुवादक और निबंधकार – उन्होंने विविध विधाओं में लेखन कर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।
प्रमुख कृतियाँ
- उपन्यास: मानस का हंस, सेठ बाँकेमल, नाच्यौ बहुत गोपाल, शतरंज के मोहरे
- कहानी संग्रह: बिच्छू, अमर ज्योति
- संस्मरण: गदर के फूल
प्रमुख रचनाएं
(1947), पाँचवा दस्ता (1948), एक दिल हजार दास्ताँ (1955), एटम बम (1956), पीपल की परी (1963), कालदंड की चोरी (1963), मेरी प्रिय कहानियाँ (1970), पाँचवा दस्ता और सात कहानियाँ (1970), भारत पुत्र नौरंगीलाल (1972), सिकंदर हार गया (1982), एक दिल हजार अफसाने (1986 - लगभग सभी कहानियों का संकलन)।
सम्मान और पुरस्कार
- पद्म भूषण (1981) – साहित्य में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सम्मानित।
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1967) – उपन्यास मानस का हंस के लिए।
- भारत भारती पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा) – हिंदी साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक।
नागर जी ने अपने लेखन में लोकजीवन की खुशबू, मानवीय संवेदनाओं की गहराई और इतिहास की जीवंत झलक प्रस्तुत की। वे उन साहित्यकारों में से थे जिन्होंने हिंदी कथा-साहित्य को नया आयाम दिया।
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