लघु कथा : दो दोस्त और जंगल का रहस्य

एक छोटे से गाँव में अर्जुन और मोहन नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों हमेशा साथ खेलते और पढ़ाई करते थे। गाँव के पास एक घना जंगल था, जिसे लोग डर के कारण नजदीक भी नहीं जाते थे। लेकिन अर्जुन और मोहन की जिज्ञासा हमेशा इस जंगल की ओर खिंचती रहती थी।
एक दिन दोनों ने तय किया कि वे जंगल में रहस्यमय पेड़ के बारे में पता लगाएंगे, जिसके बारे में गाँव में कई कहानियाँ प्रचलित थीं। जैसे ही वे जंगल में गए, रास्ता धीरे-धीरे कठिन होता गया। बीच में उन्हें एक चोटा सा झरना मिला। अर्जुन ने कहा, “चलो पानी पीकर आगे बढ़ते हैं।” मोहन थोड़ी डर रहा था, लेकिन दोस्त के साथ वह भी आगे बढ़ गया।
जंगल के बीच में उन्हें एक बड़ा पेड़ दिखाई दिया। पेड़ के पास एक पुरानी चिट्ठी पड़ी थी। चिट्ठी में लिखा था:
"सच्ची बहादुरी वही है जो डर के बावजूद सही काम करने की हिम्मत रखे।"
दोनों दोस्त समझ गए कि डर केवल मन का खेल है। उन्होंने निर्णय लिया कि अब वे गाँव लौटकर बच्चों को भी यह संदेश बताएंगे कि डर को कभी अपने कदमों में रोक न बनने दें।
वापस गाँव लौटकर अर्जुन और मोहन ने बच्चों के लिए एक छोटी टीम बनाई और जंगल में सुरक्षित तरीके से खोजबीन करने का अभ्यास कराया। धीरे-धीरे गाँव के लोग भी समझने लगे कि जंगल में डरने जैसा कुछ नहीं है।
संदेश: डर केवल मन का निर्माण है। अगर हिम्मत और समझदारी के साथ कदम बढ़ाओ, तो डर भी पीछे हट जाता है।
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