लघु कथा: सुंदरता

गाँव के मेले में एक चित्रकला प्रतियोगिता हो रही थी। सब बच्चे रंग-बिरंगी तस्वीरें बना रहे थे—किसी ने फूल बनाए, किसी ने तितलियाँ, किसी ने महल।
रामू, जो गरीब किसान का बेटा था, कागज़ पर अपनी माँ की तस्वीर बनाने लगा। माँ झुर्रियों से भरा चेहरा और रूखे हाथ लिए, खेतों में काम कर रही थी।
लोग हँसने लगे—“ये कैसी सुंदरता है? फूल-तितली बनाता तो अच्छा लगता।”
पर निर्णायक ने चित्र देखा और कहा—
“सच्ची सुंदरता चेहरे की चमक में नहीं, मेहनत और प्यार में होती है। यह चित्र सबसे सुंदर है।”
रामू की माँ की आँखों में आँसू थे, और सबकी आँखें झुक गईं।
संदेश: सुंदरता बाहरी रूप में नहीं, भावनाओं और कर्मों में बसती है।
No Previous Comments found.