भगत सिंह: शहीद-ए-आजादी

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कई वीर सेनानी हुए हैं, जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से देश को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी थे भगत सिंह। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के सांड्रवाल गाँव में हुआ था। भगत सिंह ने न केवल अपने जीवन से अंग्रेज़ी हुकूमत को चुनौती दी, बल्कि युवाओं को देशभक्ति और न्याय के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा भी दी।
भगत सिंह न केवल क्रांतिकारी थे, बल्कि उनके विचार और लेखन आज भी प्रेरणा देते हैं। उन्होंने देशभक्ति, साहस और न्याय के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा बलिदान और आदर्श कभी भी मरते नहीं।
आज उनकी 118वीं जयंती है , इस अवसर पर आईये पढ़ते हैं- वीर सेनानी "भगत सिंह" को समर्पित ये कविता-
सपनों में जो बुनता था आज़ादी का राग,
छोटी उम्र में ही था साहस का भाग।
देश के लिए जलाई जो बलिदान की ज्योति,
नाम उसका गूंजे हर हिन्दुस्तानी सोती।
लालटेन की रौशनी में जो दिखा हक़ का रास्ता,
हाथ में थी किताब और दिल में आशा।
सांडर्स को रोक कर, न्याय का दिया पैगाम,
असेंबली में गूँजी उनकी वीरता की ध्वनि आम।
फाँसी की फंदे में भी ना झुका उनका मन,
हर कदम पर था उनका इरादा अविचल और ठान।
अंग्रेज़ों की ताकत को चुनौती दी खुलकर,
देश के लिए लिखा इतिहास बहादुरी के पलकर।
युवा भारत को देते हैं संदेश महान,
“देशभक्ति में छुपा है सच्चा इंसान।”
विचारों में जो शक्ति और साहस का मेल,
वह भगत सिंह का अद्भुत और अमर खेल।
सत्य, न्याय और आज़ादी के लिए वे खड़े रहे,
उनकी वीरता की कहानी सदियों तक गूंजे।
स्मरण रहे उनका नाम हर दिल में और मन में,
भगत सिंह – शहीद, साहस और शान के पन्नों में अंकित अक्षर।
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