धनतेरस और सोने की चमक

धनतेरस का पर्व समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन सोने और चांदी की खरीदी करके लक्ष्मी माता के आशीर्वाद से घर में संपत्ति और सुख-शांति लाने की परंपरा है। यह त्यौहार दीपों की रौशनी और उल्लास से भरा होता है, जो अंधकार से उजाले और दुर्भाग्य से समृद्धि की ओर ले जाता है।  आईये पढ़ते हैं कविता- "धनतेरस और सोने की चमक"

धनतेरस आया, सोने की छाँव लाई,
घर-घर में खुशियाँ और उजियारा छाया।
सोने की चमक से दीप जलाएं,
लक्ष्मी माता का स्वागत मन से करें सभी भाई।

सुनहरी वस्तुएँ, आभूषण और हार,
संपत्ति का प्रतीक, सुख-समृद्धि का उपहार।
सोने में छुपा है विश्वास और सम्मान,
धनतेरस पर बढ़े घर का मान।

चांदी की थाली, सोने की छोटी-छोटी बिंदी,
सपनों की पूरी होती हर मनोकामना अभी।
लक्ष्मी जी की कृपा से घर महके हर कोना,
हर दिल में बसे प्रेम और सुख का मोना।

सुनहरी ज्योति से अंधेरा भागे,
हर दुख और संकट दूर का भाग लाए।
सोने की चमक, धनतेरस का संदेश,
सफलता और खुशियों का हमेशा रहे विस्तेश।

आओ मिलकर करें दीपों से सजावट,
सुनहरी आभा में हो सबका स्वागत।
धनतेरस का पर्व, सोने की शान,
लक्ष्मी माता का आशीर्वाद, घर-घर महान।

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