राजा और बुद्धिमान मंत्री — चतुराई और नीति से जुड़ी
एक बार की बात है, एक राज्य में बहुत न्यायप्रिय राजा रहता था। उसके दरबार में एक बुद्धिमान मंत्री था, जो हर बात पर कहता —“जो होता है, अच्छे के लिए होता है।”
राजा को उसकी यह बात कभी-कभी अजीब लगती थी।
एक दिन की बात-राजा जंगल में शिकार खेलने गया। अचानक उसका हाथ फिसला और उसकी एक उंगली कट गई।राजा बहुत दुखी हुआ और मंत्री से बोला —“देखा, मेरी उंगली कट गई! अब बताओ, इसमें क्या अच्छा है?”मंत्री बोला —“महाराज, जो होता है, अच्छे के लिए होता है।”
राजा गुस्से में आ गया और बोला —“इतनी बड़ी चोट लग गई और तुम इसे अच्छा कह रहे हो? जाओ, तुम्हें जेल में डाल दिया जाए!”
मंत्री मुस्कुराया और बोला —“ठीक है महाराज, जो होता है, अच्छे के लिए होता है।”
अगले दिन-राजा फिर शिकार पर गया। वहाँ कुछ आदिवासी लोग उसे पकड़कर अपने देवता की बलि देने ले गए।जब वे बलि देने वाले थे, तो उन्होंने देखा कि राजा की एक उंगली कटी हुई है।वे बोले — “यह व्यक्ति अधूरा है, देवता को अधूरा मनुष्य बलि में नहीं चढ़ाया जा सकता।”और उन्होंने राजा को छोड़ दिया।
राजा को तब मंत्री की बात याद आई —“जो होता है, अच्छे के लिए होता है।”
जब राजा वापस लौटा, उसने मंत्री को जेल से निकलवाया और बोला —“मंत्रीजी, आप सही थे। मेरी जान बच गई। लेकिन बताइए, आपका जेल जाना कैसे अच्छे के लिए था?”
मंत्री हँसकर बोला —“महाराज, अगर मैं जेल में न होता तो मैं आपके साथ शिकार पर जाता,और जब आदिवासी आपको छोड़ देते, तो शायद मुझे बलि के लिए ले जाते!”
राजा हँस पड़ा और समझ गया कि-वास्तव में जो होता है, अच्छे के लिए होता है।
नीति:“हर घटना में कोई न कोई अच्छाई छिपी होती है, बस हमें धैर्य और विश्वास रखना चाहिए।”
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