बांके बिहारी मंदिर में क्या हैं पर्दा डालने की प्रथा , जानकर हो जाएगे हैरान...

अधिकतर अपने देखा होगा वृंदावन मंदिर में बार-बार बांके बिहारी को पर्दा किया जाता है. इसको देखकर हर किसी के मन में  सवाल जरुर आता हैं की ऐसा क्यों होता हैं. तो चलिए पर्दा प्रथा के बारे में विस्तार से जानते हैं...

पर्दा प्रथा..
वृंदावन मंदिर में बांके बिहारी की पूजा बाल रूप में की जाती हैं. मंदिर में बाल रूप होने के कारण सेवायत पुजारी के साथ-साथ यहां आने वाले भक्त भी उन्हें लाल को लाड लडाये बिना नहीं रहते. ऐसा कहा जाता हैं की ठाकुर जी का विग्रह इतना सुन्दर हैं की कोई भी व्यक्ति एक बार इस विग्रह को देख ले. तो वो इसमें खो जाता हैं. मंदिर के सेवायत बार - बार मंदिर के समक्ष दर्शन करने आए भक्तो को पर्दा गिरकर उनका ध्यान भंग करते हैं. 

रहस्य..
ऐसा कहा जाता हैं की बांके बिहारी इतने सुन्दर हैं की उनको हर कोई एक नजर देखना चाहता हैं. एक भक्त ने उन्हें एक टक लगाकर देख लिया, तो ठाकुर जी उस पर मोहित हो जाते हैं. ऐसा इसलिए कहा जाता हैं की  एक बार एक किसान बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए आया था. ठाकुर जी को उसने एक टक लगा कर देख लिया, तो ठाकुर जी उसके साथ चल दिए. गोस्वामियों को जब ठाकुर जी को किसान के साथ जाने की पता चली तो गोस्वामियों ने बिहारी जी को ढूंढना शुरू किया. कुछ दिन पूर्व ठाकुर जी को ढूंढ लिया. भगवान बांके बिहारी मंदिर में उन्हें फिर से विराजमान किया गया. तभी से यह प्रथा चली आ रही है कि उन्हें कोई भी एक टक लगाकर ना देखे. मंदिर का पर्दा बार-बार गिराया जाता है. सैकड़ों साल पुरानी यह परंपरा बुजुर्गों के समय से चली आ रही है.

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