प्रेम, अतीत और स्वीकृति

प्रेम एक भाव है जिसके अनेकों रूप और प्रारूप हैं | सम्पूर्ण ब्रह्मांड में यदि कोई चीज़ निश्छल है तो वो प्रेम है | 
यदि कोई इंसान किसी इंसान को उसके सौंदर्य, शरीर या खूबसूरती की वजह से प्रेम कर रहा है तो उसको प्रेम कहना गलत होगा क्योंकि वो केवल किसी इंसान का आकर्षण मात्र ही कहा जा सकता है | प्रेम तो तब है जब आपको यह एहसास हो कि सामने वाला इंसान आपको कभी प्राप्त नहीं हो सकता उसके बावजूद आप उस इंसान के जीवन को खुशियों से भरने के लिए हर संभव प्रयास करते रहें | असल प्रेम ही यह है कि अपने प्रियतम के लिए खुद को न्योछावर कर देना और अपेक्षा स्वरुप उसी कुछ भी अपेक्षा न रखना | 

अब बात आती है अतीत की, आज के दौर में लोग अनेकों लोगों से विभिन्न माध्यमों द्वारा मिलते है और कभी-कभी वो मुलाकात प्रेम में तब्दील हो जाती है लेकिन समस्या आती है जब आपको सामने वाला अपने अतीत के बारे में बताये, अक्सर लोग अतीत जानकार मोहबत्त करना छोड़ देते हैं या फिर मन में शंका पैदा कर लेते हैं परन्तु इंसान को ऐसे समय अपने भौतिक विवेक की अव्यश्यकता पड़ती है क्योंकि अतीत तो किसी का भी हो सकता है वो अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी हो सकता है, लेकिन अगर कोई इंसान आपको अपना समझ कर सब बता रहा है तो आपको उस इंसान पर आँख बंद करके भरोसा करना चाहिए | जीवन में यदि कोई आपका ह्रदय तोड़ दे तो कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए लेकिन हमेशा इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आपके द्वारा किसी इंसान का भरोसा नहीं टूटना चाहिए अर्थात प्रेम का पहला भाव समर्पण और दूसरा भाव त्याग ही है | 
जब आप किसी इंसान को उसके बुरे वक़्त में अपनाते हैं और खुद से ये कोशिश करते हैं कि आपसे मिलने के बाद उस इंसान के जीवन में अब कभी कोई बुरा वक़्त न आए तब आप निश्छल प्रेम कि और बढ़ रहे होते हैं | अतीत से हमें सीख मिलती है कि वर्तमान में क्या करना चाहिए ? अतीत में किए गए कर्मों से वर्तमान बनता है और वर्तमान में किए गए कर्मों से भविष्य बनता है |अतीत तो बीता कल है, आपका इतिहास, आज की तरह सच | 

जब आप प्रेम करने के बाद अतीत जान लेते हैं और स्वीकार कर लेते हैं तब आप असल प्रेम की और अग्रसर हो जाते हैं और रिश्ता पहले से भी बहुत मजबूत बन जाता है | अक्सर ऐसा भी देखा जाता है कि आप प्रेम में सब त्याग देते हैं, पूर्णतः समर्पित हो जाते हैं परन्तु आपके प्रियतम को किसी और से प्रेम हो जाता है, ऐसे समय में इश्वर आपकी असल परीक्षा ले रहे होते हैं क्योंकि यह स्वीकार करना की इंसान और परिस्तिथि हमेशा आपके अनुरूप नहीं रहती अपने आप में बहुत बड़े बड़प्पन का परिचय है | अगर आपमें यह ताकत आ गयी कि आप प्रेम के लिए खुद के प्रेम को त्याग सकें तो आप इस धरती पर असल प्रेम से वाकिफ हो चुके हैं | लोग टूट जाते हैं जब स्वीकार करने की बात आती है कि जिसको आप प्रेम कर रहे हैं वो किसी और को प्रेम कर रहा है लेकिन सत्य स्वीकार करते हुए भी अपने प्रेम को कम न होने देना असल त्याग और समर्पण की निशानी है जो वास्तविकता में बहुत कम देखने को मिलती है | आज हीर-राँझा और लैला- मजनू तो सब पढ़ और समझ लेते हैं लेकिन राधा-कृष्णा के प्रेम को लोग नहीं समझ पाते शायद यही कारण है की आज इस युग में प्रेमी तो बहुत मिल जाते हैं लेकिन प्रेम और भावपूर्ण प्रेम बहुत अनन्य ही देखने को मिलता है | 

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