लखनऊ नगर निगम में टेंडर आवंटन पर उठे सवाल, जीएसटी बकायेदारी के बावजूद दी गई निविदा

लखनऊ :    लखनऊ नगर निगम के टेंडर आवंटन में अनियमितताओं का मामला सामने आया है। नगर निगम द्वारा ट्रांसपोर्ट नगर पार्किंग-2 के लिए ई-निविदा प्रक्रिया के तहत लक्ष्य इंटरप्राइजेज को सर्वोच्च बोलीदाता मानते हुए टेंडर आवंटित किया गया था। हालांकि, निविदा प्रक्रिया में भाग लेने वाली दूसरी फर्म फेग इंजीनियरिंग एण्ड कांट्रेक्शन प्रा० लि० ने आरोप लगाया है कि लक्ष्य इंटरप्राइजेज के ऊपर जीएसटी की बकायेदारी है, जिसके बावजूद उसे टेंडर दे दिया गया। शिकायतकर्ता के अनुसार, लक्ष्य इंटरप्राइजेज के वर्ष 2017-18 में 3,36,438 रुपये और 2018-19 में 65,856 रुपये की कर देयता, ब्याज एवं अर्थदंड सहित बकाया है। जीएसटी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक यह बकाया अब तक जमा नहीं किया गया है। आरोप है कि नगर निगम के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से इस रिपोर्ट के महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया गया और गलत जानकारी देकर निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई। शिकायतकर्ता ने महापौर सुषमा खर्कवाल से इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने, निविदा को निरस्त करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह मामला नगर निगम में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। वहीं इस पूरे मामले पर लखनऊ नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने शिकायतकर्ता के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। अशोक सिंह के मुताबिक, "लक्ष्य इंटरप्राइजेज के ऊपर किसी भी प्रकार का जीएसटी बकाया नहीं है। निविदा प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती गई है और लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। फिलहाल, महापौर कार्यालय से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में नगर निगम लखनऊ इस प्रकरण की जांच कराता है या नहीं। अगर जांच होती है तो इससे निगम की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों के जवाब मिल सकते हैं।

 रिपोर्टर : उमेश विश्वकर्मा

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