पहले जिलाध्यक्ष, फिर प्रदेश अध्यक्ष, फिर होगा योगी मंत्रिमंडल का विस्तार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी असमंजस में घिरी हुई नजर‌ आ रही है।संगठन से लेकर सरकार तक बड़ा बदलाव होना है।यूपी में भाजपा को जिलाध्यक्षों का चुनाव करना है,प्रदेश अध्यक्ष का भी चयन होना है और योगी मंत्रिमंडल का विस्तार भी होना है।संगठन से लेकर सरकार तक में चर्चाओं का बाजार गर्म है।जिलों में जिलाअध्यक्ष की कुर्सी के लिए रस्साकशी चल रही है,तो भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा इसको लेकर भी कयासों बाजार गर्म है। इतना ही नहीं कहा जा रहा है कि इन दोनों प्रक्रिया पूरी होने के बाद योगी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। सूत्रों के मुताबिक कुछ चेहरे योगी मंत्रिमंडल से बाहर होंगे तो कुछ नए चेहरे को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।मौजूदा कैबिनेट में शामिल मंत्रियों का विभाग भी बदला जाएगा।असमंजस की स्थिति योगी सरकार में भी बनी हुई है। यूपी में जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया को पूरी हो गई है।लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है। हालांकि खबर यह भी है कि केंद्रीय नेतृत्व ने महिला और उम्र को आधार बनाकर लिस्ट में कुछ बदलाव के लिए सूची वापस भेजी थी। इसके बाद इस आधार पर बदलाव कर दोबारा लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है।जानकार मानते हैं कि पार्टी नहीं चाहती कि जिलों में पार्टी की कमान संभालने वालों की होली खराब हो।संभावना है की होली से पहले जिलाअध्यक्षों की सूची जारी हो सकती है,लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का फैसला होली के बाद होगा।भाजपा संगठन की टीम को मजबूत करना चाहती है।ऐसे चेहरों को मौका देना चाहती है,जिसका असर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़े।इसीलिए जिला अध्यक्षों के साथ ही अध्यक्ष के अध्यक्ष देरी हो रही है।

अब बात यूपी में भाजपा की बागडोर संभालने वाले अध्यक्ष की करते हैं।कहा जा रहा है कि पार्टी जाती है और क्षेत्रीय आधार पर एक ऐसे चेहरे को चुनना चाहती है जो 2027 में सरकार की वापसी की गारंटी भी बने।वैसे तो यूपी की सियासी गलियारों में कई सारे नाम की चर्चा है,लेकिन दौड़ में सबसे आगे ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पूर्वांचल के बस्ती से आने वाले पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी का नाम आगे है। हरीश द्विवेदी के बारे में कहा जाता है कि वह संघ के भी करीबी है भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष होने के नाते संगठन में भी उनकी पकड़ है युवा है और कई राज्यों के प्रभारी के तौर पर भी काम कर चुके हैं। इसके बाद ब्राह्मण चेहरे के तौर पर ही नाम दिनेश शर्मा का भी चर्चाओं में है।दिनेश शर्मा डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं,संगठन के राष्ट्रीय टीम में उपाध्यक्ष भी रहे हैं।दिनेश शर्मा ने सदस्यता अभियान के प्रभारी के तौर पर भी काम किया और इस दौरान भाजपा विश्व की नंबर एक पार्टी बनी सरकार और संगठन में भी उनको लेकर नकारात्मक सोच नहीं है। इसके साथ ही ओबीसी चेहरे के तौर पर केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा,बाबूराम निषाद और धर्मपाल सिंह का भी नाम चर्चा में है। धर्मपाल सिंह वर्तमान भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। धर्मपाल सिंह की ओबीसी चेहरे के तौर पर संघ संगठन और सरकार में अच्छी पकड़ मानी जाती है,हालांकि इससे पहले भी यह प्रदेश अध्यक्ष के दौड़ में शामिल रह चुके हैं। इन चर्चाओं में एक नाम रेखा वर्मा का भी है,लेकिन माना जा रहा कि जिस तरीके से भाजपा ने दिल्ली की कमान एक रेखा गुप्ता को दी है उसके बाद से यूपी में किसी महिला को प्रदेश अध्यक्ष जिम्मेदारी शायद ही दी जाए।सियासी पंडितों का कहना है कि यूपी एक बड़ा राज्य है और ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी की यूपी की जिम्मेदारी किसी महिला को देने से दिक्कतें हो सकती हैं। भाजपा हमेशा अपने फैसलों से चौंकाती है।इस बार भी संभावना है कि पार्टी की बागडोर यूपी में किसी ऐसे चेहरे को दी जा सकती है जो चर्चाओं से बाहर हो।जहां तक बात योगी मंत्रिमंडल विस्तार की सूत्रों की माने तो जिलाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की प्रकिया के बाद योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता हैं।संगठन में और कुछ संगठन से सरकार में किए जाएंगे।योगी मंत्रिमंडल विस्तार 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को मजबूत करेगा। यूपी में उपचुनाव में बंपर जीत के बाद लंबे समय से योगी मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चाएं भी हैं।चर्चा हैं कि कई मंत्रियों के कामकाज से न तो भाजपा संगठन संतुष्ट हैं और ना ही सीएम योगी संतुष्ट हैं।बेहतर परफॉमेंस ना देने वाले मंत्री हटाए जा सकते हैं और कुछ मंत्रियों के विभागों को बदला जा सकता।मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं और कुछ को संगठन भेजा जा सकता है।

 

रिपोर्टर : लखन 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.