लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस की साइबर टीम ने झारखण्ड के गिरोह का किया पर्दाफाश

लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस की साइबर टीम ने झारखण्ड के गिरोह का किया पर्दाफाश
लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस की साइवर टीम और गाजीपुर थाने की पुलिस की मेहनत रंग लायी और पर्दाफाश हुआ एक बड़े गैंग का जो गरीव और छोटे बच्चों को अपना मोहरा बनाते हुए उनसे भीड़भाड़ वाले इलाकों से लोगों के मोबाइल फ़ोन चोरी करवाता था और उसके बाद साइबर ठगी करते हुए लोगों के खातों से रकम निकाल लेते थे।
आपको बता दें कि लोगों के मोबाइल फोन चुराकर साइबर फ्रॉड करने वाले झारखंड के एक रोग के सात सदस्यों को साइवर सेल व गाजीपुर थाने की पुलिस ने रविवार को घर दतोचा। हत्थे चढ़े आरोपितों में तीन नाबालिग भी शामिल हैं, जिन्हें चाल सुधार गृह भेज दिय गया है। आरोपितों के पास से चोरी के 46 मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं। पुलिस की टीम गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है।
आपको बताते चले कि देशराज नाम के व्यक्ति द्वारा ने मुलायमनगर सब्जी मंडी से मोबाइल फोन चोरी होने और उसके के जरिए खाते से 1,99,999 रुपये निकाले जाने की रिपोर्ट आठ अप्रैल लखनऊ के गाजीपुर थाने में दर्ज करवाई थी। इससे पहले भी शहर के कई इलाकों से चोरी हुए फोन की मदद से पीड़ितों के खातों से रुपये निकाले जाने की शिकायतें मिली थीं। ऐसे में साइबर सेल और गाजीपुर थाने की पुलिस ने तफ्तीश शुरु की । तो साइबर टीम की मदद से सभी जानकारी जुटाने पर पता चला कि ये मामला कोई साधारण मोबाइल चोरी का नहीं बल्कि एक शातिर सगांग का है जो झारखंड से संचालित हो रहा था। इस दौरान झारखंड का गिरोह सक्रिय होने सूचना मिली और टीम ने रविवार को झारखंड निवासी शुभम कुमार महत्तो, सोनू महतो, राज कुमार राय और जोनू कुमार के साथ ही तीन नावालिगों को धर दबोचा।
साइबर टीम के आदिल, राकेश मिश्रा, हेड कॉन्स्टेवल संतोष गौतम, कॉन्स्टेवल जेपी यादव, आशीष सिंह, अविनाश वर्मा और जितेंद्र सिंह ने गैंग के सदस्यों को दबोचने के साथ ही गहन पूछताछ की। आरोपियों से जब कड़ी पूछताछ की गयी तो उन्होंने बताया कि गैंग में हर काम के लिए अलग-अलग सदस्य है। मोबाइल चुराने का काम छोटे बच्चों को दिया जाता था। चोरी किये गए मोबाइल लॉक तोड़कर फाइंड मॉय डिवाइस ऑफ कर देते थे। इसके बाद सिम बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से लिंक होने पर फर्जी नाम व पत्ते से खोले गए खातों में रकम ट्रांसफर करने का जिम्मा दूसरे सदस्यों का था। वहीं, मोवाइल क्रैक न होने पर झारखंड में बैठे साइबर ठगों से संपर्क करते थे।
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