अखाड़े होते क्या हैं, और उनका महाकुंभ में क्या महत्व है?

प्रयागराज में महाकुंभ की रौनक दिख रही है ..यहां , हर 12 साल में एक बार लगने वाला महाकुंभ मेला न केवल लाखों भक्तों के आस्था का केंद्र बनता है, बल्कि यहां पर एक और खास चीज़ होती है, जो सबका ध्यान खींचती है - और वो है यहां के अखाड़े! जब आप महाकुंभ का दृश्य देखते हैं तो आपको साधु संतों के बड़े-बड़े समूह, ढेर सारे झंडे, और उनकी विशेष परंपराएं नजर आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये अखाड़े होते क्या हैं, और उनका महाकुंभ में क्या महत्व है? नही , तो चलिए , जानते हैं!

हम में से ज्यादातर लोगों के दिमाग में जब अखाड़ा शब्द आता है, तो सबसे पहले पहलवानों का मैदान या कुश्ती की तस्वीर सामने आती है... लेकिन महाकुंभ में अखाड़ा का मतलब बिल्कुल अलग होता है... यहां अखाड़ा साधु संतों का एक धार्मिक समूह होता है, जो न सिर्फ तपस्वी होते हैं, बल्कि भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपराओं के असली रक्षक भी होते हैं...इनकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी, जिन्होंने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए इन साधुओं को संगठित किया था .. यानी, ये अखाड़ा धार्मिक अखाड़ा नहीं, बल्कि संस्कृति और इतिहास का एक विशाल धरोहर भी है!महाकुंभ में कुल 13 अखाड़े होते हैं औऱ हर अखाड़े का अपना एक अलग पथ और परंपरा होती है। इनमें से 7 शैव अखाड़े यानी जो जो शिव जी के भक्त होते हैं, 3 वैष्णव अखाड़े यानी जो विष्णु जी के भक्त होते हैं, और 3 निर्गुणी अखाड़े यानी जो जो निर्गुण ब्रह्म की साधना करते हैं..वहीं इस सब के अलावा भी एक  अखाड़ा ऐसा है जो  सबसे मशहूर  है और वो है जूना अखाड़ा यानी कि नागा अखाड़ा ........और तो और इस बार अब एक नई बात भी सामने आई है ..कि इस बार किन्नर अखाड़ा भी महाकुंभ का हिस्सा बनने जा रहा है!  अब सवाल ये भी है कि आखिर अखाड़ों का महाकुंभ में क्या रोल है?तो चलिए वो भी बताते हैं - 

हिंदू धर्म में अखाड़े का इतिहास सदियों पुराना है...आदि शंकराचार्य ने इन अखाड़ों की स्थापना ऐसे साधुओं के समूह के रूप में की थी, जो केवल शास्त्रों में निपुण नहीं, बल्कि शस्त्र विद्या में भी माहिर होते थे.. इनका उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखना था.. और यही काम आज भी अखाड़े कर रहे हैं... वे न केवल प्राचीन परंपराओं को जीवित रखते हैं, बल्कि समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में भी मदद करते हैं..

यानी कि देखा जाए तो  महाकुभं  सिर्फ धार्मिक स्नान या साधु-संतों का समागम ही नहीं है ,  बल्कि ये अखाड़ों की दुनिया भी है जहां , भारतीय संस्कृति, परंपराओं, और समाज के असली झलक देखने को मिलती है .. अखाड़े हमें न केवल आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं, बल्कि भारतीय समाज में एकता, शांति और समरसता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ..

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