13 साल की साध्वी , महाकुंभ ने बदली एक बच्ची की जिंदगी
महाकुंभ का आगाज हो गया है ..और इस महाकुंभ में ऐसी -ऐसी कहानियां निकल कर सामने आ रही हैं , जो रौंगटे खड़े कर देती हैं .. जैसे आगरा की 13 साल की राखी ने महाकुंभ मेले के विशाल संगम में एक ऐसा कदम उठाया, जो न सिर्फ उसकी, बल्कि पूरे समाज के लिए एक मिसाल बन गया..एक लड़की जो कभी अधिकारी बनना चाहती थी , उसने महाकुंभ के सान्निध्य में आकर एक ऐसी राह चुनी, जिसने सभी को चौंका दिया.. महाकुंभ का वो अद्भुत अनुभव ही था, जिसने उसे सांसारिक जीवन से वैराग्य का अहसास कराया, और उसने साध्वी बनने का संकल्प लिया.. जी हां ..एकदम सही सुन रहे हैं आप एक 13 साल की बच्ची साध्वी बन गई है .अब एक बच्ची के मन में वैराज्ञ कैसे जागा और कैसे वो धर्म के मार्ग पर चल पड़ी , चलिए बताते हैं ...
राखी के परिवार का जूना अखाड़े से गहरा संबंध था... महंत कौशल गिरी महाराज के साथ तीन सालों से धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हुए, राखी ने गुरु दीक्षा ली.. महाकुंभ के विशाल मेले में, जहां लाखों लोग अपनी आस्थाओं को लेकर आते हैं, राखी ने एक नया अध्याय शुरू किया—धर्म, तप, और साधना का...राखी के माता पिता ने भी इस सच को अपनाया ...राखी का यह निर्णय केवल एक व्यक्तिगत बदलाव नहीं था, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया। महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन ने राखी को वह आंतरिक ताकत दी, जो लाखों लोगों को जीवन की सच्चाई और उद्देश्य का अहसास दिलाती है। अब राखी को जूना अखाड़े में 'गौरी गिरि' के नाम से जाना जाएगा।
कुल मिलाकर देखा जाए तो राखी ने यह साबित कर दिया कि महाकुंभ के संगम में केवल आत्मा का शुद्धिकरण ही नहीं होता, बल्कि ये हमें जीवन के नए अध्याय की ओर भी प्रेरित करता है। राखी ने हम सभी को यह सिखाया कि अगर हिम्मत और विश्वास से काम लिया जाए, तो कोई भी सपना सच हो सकता है, चाहे वह साध्वी बनने का हो या आईएएस अधिकारी बनने का!
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