महाकुंभ से लौटते समय घर ले आएं ये चीजें, सौभाग्य में होगी वृद्धि
BY RATNA
खरमास साल में दो बार लगते है. इसकी शुरुआत तब होती है जब सूर्य देव का गोचर गुरु की राशियों धनु और मीन में होता है। पहला खरमास तब लगता है जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं। यह अवधि मार्च-अप्रैल में होती है। इसके बाद खरमास दिसंबर-जनवरी में लगता है, इस दौरान गुरु की राशि धनु में होते हैं। साल 2024 में खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर से हो रही है। इस दौरान सूर्य गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेंगे। एक महीने तक सूर्य धनु राशि में ही संचार करते रहेंगे। खरमास के दौरान किसी भी तरह का शुभ मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
आखिर क्यों खरमास में कोई शुभ काम नहीं किए जाते?
खरमास के दौरान सूर्य की स्थिति कमज़ोर होती है. पृथ्वी पर सूर्य देव के ही कारण जीवन संभव हुआ है। सूर्य की ऊर्जा सारी प्रकृति को बल देती है। लेकिन जब सूर्य देव बृहस्पति ग्रह की राशियों धनु और मीन में जाते हैं तो उनका तेज कम हो जाता है। हर मांगलिक कार्य में सूर्य देवता का भी आवाहन किया जाता है, और उनके आशीर्वाद से ही मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं। लेकिन धनु-मीन में संचार करते हुए सूर्य जब कमजोर होते हैं, तो मांगलिक कार्यों का शुभ फल आपको प्राप्त नहीं हो पाता। यही वजह है कि, खरमास के दौरान शुभ मांगलिक कार्यों को करने पर रोक लग जाती है।
खरमास के दौरान जब सूर्य कमजोर होता है, तब प्रकृति में शुभता कम हो जाती है। इसलिए शुभ-मांगलिक कार्यों का भी अच्छा प्रभाव आपको नहीं मिल पाता। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, या अन्य शुभ कार्यों को करने की इस दौरान मनाही होती है। खरमास में धार्मिक अनुशासन बहुत मत्तव्पूर्ण होता है. इस दौरान खरमास में व्यक्ति को धार्मिक क्रियाकलाप करने चाहिए। जिसमें धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करना शुभ होता है। ऐसा करने से व्यक्ति मानसिक रूप से सकारात्मक रहते हैं। इसके अलावा सकारात्मकता ऊर्जा प्राप्त करने के लिए व्रत और योग-ध्यान करना चाहिए. व्यक्ति को भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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