महाराष्ट्र में भाषाई विवाद तेज, हिंदी-मराठी के बीच सियासी जंग

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर राजनीतिक सियासत तेज हो गई है। राज्य में हिंदी के इस्तेमाल को लेकर कुछ संगठनों द्वारा विरोध जताए जाने और स्थानीय भाषाओं के अधिकारों की बात उठाए जाने के बाद, शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके बेटे राज ठाकरे ने हिंदी के समर्थन में सामने आकर एक नई बहस छेड़ दी है।
राज ठाकरे ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा, "हिंदी भारत की मातृभाषा है और सभी राज्यों में इसे बढ़ावा देना चाहिए। महाराष्ट्र में भी हिंदी की अहमियत को समझा जाना चाहिए।" वहीं, उद्धव ठाकरे ने सोशल मीडिया पर हिंदी भाषा की गरिमा और उसकी भूमिका पर जोर देते हुए लिखा, "हिंदी हमारे देश की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। भाषा को लेकर कोई भी विवाद हमें एकजुट करने के बजाय बांटने का काम करता है।"
हालांकि, इस पर कुछ मराठी भाषा समर्थक समूहों ने अपनी आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि महाराष्ट्र की मराठी भाषा को संरक्षण और प्रोत्साहन मिलना चाहिए और हिंदी को दबाने की कोई कोशिश नहीं होनी चाहिए। इस मुद्दे पर राजनीतिक दल भी बंटे हुए नजर आ रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भाषा को लेकर यह विवाद केवल भाषाई मुद्दा नहीं बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान का संघर्ष है। आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा और भी गरमाता जा सकता है।
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