ग्राहक-केंद्रितता को मजबूत करने और शिकायत निवारण के उच्च मानकों को लागू करने का आह्वान किया

महाराष्ट्र :  इरडा पोर्टलभारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण   26.11.2025 उद्योग की बैठक में आईआरडीएआई ने अधिक मजबूत ग्राहक केन्द्रस्थता और शिकायत निवारण के उच्चतर मानकों की अपेक्षा की आईआरडीएआई ने उद्योग की बैठक में ग्राहक-केंद्रितता को मजबूत करने और शिकायत निवारण के उच्च मानकों को लागू करने का आह्वान किया। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बुधवार, 26 नवंबर 2025 को सभी बीमाकर्ताओं के मुख्य अनुपालन अधिकारियों (सीसीओ) और शिकायत निवारण अधिकारियों (जीआरओ) की एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। चर्चाएँ पालिसीधारक संरक्षण को सुदृढ़ करने. शिकायत निवारण मानकों में सुधार लाने, और बीमा क्षेत्र के द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों का समाधान करने पर केन्द्रित रहीं। बैठक का शुभारंभ अध्यक्ष, आईआरडीएआई द्वारा संविधान दिवस पर शुभकामनाएँ देने, संविधान एवं उसके न्याय, समानता और स्वतंत्रता के मूल्यों के महत्व को रेखांकित करने के साथ किया गया। सहभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने बीमा में विश्वास की केन्द्रीयता तथा उस विश्वास को बनाये रखने में अनुपालन और शिकायत निवारण कार्यों के द्वारा अदा की जानेवाली महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। अनुपालन पद्धतियों और वर्तमान शिकायत निवारण व्यवस्थाओं की प्रभावकारिता की एक विस्तृत समीक्षा की गई। प्राधिकरण ने भोपाल और ठाणे के बीमा लोकपालों को भी संलिप्त किया जिन्होंने अपने संबंधित कार्यालयों में दायर किये गये मामलों को संभालने में पाई गई परिचालनात्मक समस्याओं और चुनौतियों को प्रस्तुत किया। उपभोक्ताओं की शिकायतों और पालिसीधारक संबंधी समस्याओं में उभरती प्रवृत्तियों के विश्लेषण ने विचार-विमर्श को आगे और सुगठित रूप दिया तथा उन क्षेत्रों पर विशेष बल दिया गया जहाँ उद्योग को अपनी अनुक्रियाशीलता में अवश्य वृद्धि करनी होगी। प्राधिकरण ने शिकायतों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की तथा बीमाकर्ताओं के लिए इस बात की आवश्यकता पर जोर दिया कि वे समाधानों की गुणवत्ता और समयबद्धता में उल्लेखनीय रूप में सुधार लाएँ। बीमाकर्ताओं को सूचित किया गया कि वे उपभोक्ताओं के पत्रादि को शिकायतों और सेवा अनुरोधों के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक सुस्पष्ट और मानकीकृत परिचालन प्रक्रिया विकसित करें। आईआरडीएआई ने बीमाकर्ताओं से यह भी अनुरोध किया कि वे निर्धारित समय-सीमाओं का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक अधिक सक्रिय, पालिसीधारक केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाएँ और अपनी आंतरिक प्रणालियों को मजबूत करें। संस्थाओं के अंदर एक अधिक गहन सांस्कृतिक सुयोजन की आवश्यकता पर बल देते हुए अध्यक्ष महोदय ने टिप्पणी कीः "अनुपालन मात्र एक विभाग नहीं हो सकता यह अवश्य एक मानसिकता होनी चाहिए। तथा शिकायत निवारण किसी प्रक्रिया का अंत नहीं हो सकता- यह अवश्य हमारी समय पूर्व चेतावनी की प्रणाली होनी चाहिए। जब शंका हो, तब ग्राहक का चयन करें। यदि हम इसे सुसंगत रूप में करें, तो विश्वास हमारा अनुसरण करेगा, संवृद्धि हमारे साथ आएगी, तथा उद्योग पहले से कहीं अधिक मजबूती से खड़ा होगा।" अध्यक्ष ने सीसीओएस और जीआरओएस की संपूरक भूमिकाओं पर विशेष बल दिया और उन्हें बीमा कंपनियों का "विवेक और विश्वसनीयता कहा।

रिपोर्टर :  प्रभव चंद्रकांत काले

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