महेश भट्ट ने मोहित सूरी की 'सैयारा' पर दी प्रतिक्रिया, अनुपम खेर की 'तन्वी द ग्रेट' को बताया सिनेमा की आत्मा

महेश भट्ट बोले- 'आजकल फिल्मों में ओरिजनलिटी नहीं बची', मोहित सूरी की 'सैयारा' पर दी प्रतिक्रिया, अनुपम खेर की 'तन्वी द ग्रेट' को बताया सिनेमा की आत्मा

बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने हाल ही में अपने भतीजे मोहित सूरी की सुपरहिट फिल्म ‘सैयारा’ और अनुपम खेर की ‘तन्वी द ग्रेट’ को लेकर बड़ा बयान दिया है। जहां एक तरफ उन्होंने मोहित सूरी की कड़ी मेहनत और निर्देशन की तारीफ की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने हिंदी सिनेमा में ओरिजिनैलिटी की कमी पर चिंता जताई।

मोहित सूरी की 'सैयारा' बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट
18 जुलाई को रिलीज हुई मोहित सूरी निर्देशित 'सैयारा' इस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बन गई है। फिल्म से अहान पांडे और अनीत पड्डा ने बॉलीवुड में डेब्यू किया। महेश भट्ट, जिन्होंने मोहित सूरी को 2005 में 'जहर' से लॉन्च किया था, उन्होंने मोहित की इस फिल्म पर कहा, “मोहित एक प्रतिभाशाली युवा फिल्म निर्माता हैं। उन्होंने 'आशिकी 2' भी मेरे लिए बनाई थी। उनकी अपनी एक अलग शैली है और वह लगातार अपनी पहचान बना रहे हैं।”

'तन्वी द ग्रेट' में अनुपम खेर के साहस को सराहा
इस दिन अनुपम खेर की ‘तन्वी द ग्रेट’ और सोनाक्षी सिन्हा की ‘निकिता रॉय’ भी रिलीज हुईं, लेकिन 'सैयारा' की आंधी में ये फिल्में फीकी पड़ गईं। बावजूद इसके, महेश भट्ट ने अनुपम खेर की फिल्म की दिल खोलकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “'तन्वी द ग्रेट' एक ऐसी फिल्म है, जो समाज के सबसे कमजोर वर्ग, एक ऑटिस्टिक बच्चे की कहानी है। अनुपम ने इस फिल्म में अपनी पूरी जिंदगी की पूंजी लगाई है। यह फिल्म सच्ची भावनात्मक गहराई लिए हुए है। यह आत्मा के लिए सिनेमा है।”

मौजूदा सिनेमा में ओरिजनैलिटी की कमी पर जताई चिंता
महेश भट्ट ने आज के सिनेमा पर चिंता जताते हुए कहा, “मुझे आज के परिदृश्य में कोई ओरिजनल आवाज नजर नहीं आती। बॉक्स ऑफिस की हिट की भागदौड़ ने रचनात्मकता का गला घोंट दिया है। लोग ऐसे प्लॉट्स और कहानियां चुनने के लिए मजबूर हैं जो केवल उत्तेजना पैदा करें, भावना नहीं।” उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब फिल्में आत्मा को छूती थीं, लेकिन आज ये महज नंबर गेम बनकर रह गई हैं।

“सिखाया था जो, वो आज अनुपम में खिल रहा है”
महेश भट्ट ने यह भी कहा कि अनुपम खेर की फिल्म में वही सीख देखने को मिलती है जो उन्होंने 41 साल पहले 'सारांश' के समय दी थी। भट्ट बोले, “मुझे गर्व है कि अनुपम ने अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा। उन्होंने वह फिल्म बनाई है जो दिल से निकलती है और दर्शकों की आत्मा तक पहुंचती है।”


महेश भट्ट के इस बयान ने बॉलीवुड में चल रहे ‘फॉर्मूला सिनेमा’ पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जहां मोहित सूरी ने कमर्शियल सिनेमा में अपनी पकड़ दिखाई है, वहीं अनुपम खेर ने संवेदनशील और गंभीर विषयों पर आधारित फिल्म से दिल जीता है। महेश भट्ट का यह संतुलित नजरिया बताता है कि सिनेमा के असली मायने अभी भी जिंदा हैं, बस उन्हें पहचानने की जरूरत है।

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