कैसे पड़ा फलों के राजा 'आम' का नाम? जानें लंगड़ा से लेकर तोतापरी तक की दिलचस्प कहानियां
गर्मियों का सबसे लोकप्रिय फल 'आम' न सिर्फ स्वाद में बेजोड़ है, बल्कि इसकी अलग-अलग किस्मों के नाम भी उतने ही दिलचस्प हैं। भारत में आम की दर्जनों प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनके नामों के पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियां छिपी हैं। आइए जानते हैं फलों के राजा को कैसे मिले ये अनोखे नाम।
तोतापरी आम – तोते की चोंच जैसा आकार
इस किस्म को इसका नाम इसके अनोखे आकार की वजह से मिला, जो तोते की चोंच की तरह दिखता है। स्वाद में खट्टा-मीठा और आकार में लंबा होने के कारण इसे 'तोतापरी' कहा गया।
चौंसा आम – शेरशाह सूरी की जीत की याद
इस किस्म का नाम शेरशाह सूरी की ऐतिहासिक जीत पर पड़ा। बिहार के चौसा में हुमायूं को हराने के बाद, उन्होंने इस आम का नाम 'चौंसा' रखा, जो उनके लिए विशेष था।
लंगड़ा आम – बनारस के एक व्यक्ति की देन
लगभग 300 साल पहले बनारस के एक लंगड़े व्यक्ति ने इस आम को उगाया था। जब इसका स्वाद मशहूर हुआ, तो लोग इसे 'लंगड़ा' कहने लगे।
केसर आम – खुशबू और रंग से नामकरण
इस आम की खुशबू और केसर जैसे गूदे के कारण इसे 'केसर' कहा गया। कहा जाता है कि जूनागढ़ के नवाब ने इसे इसका नाम दिया था।
दशहरी आम – एक गांव से आया नाम
लखनऊ के पास स्थित दशहरी गांव में जब पहली बार यह किस्म उगाई गई, तो गांव के नाम पर इसका नाम 'दशहरी' रख दिया गया।
सिंधरी आम – सिंध की धरती से
ब्रिटिश काल में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मीरपुर खास में उगाई गई यह किस्म 'सिंधरी' के नाम से प्रसिद्ध हुई।
अल्फांसो आम – पुर्तगाली विरासत की पहचान
हापुस के नाम से भी जाना जाने वाला यह आम पुर्तगाल के जनरल अफोंसो अल्बुकर्क के नाम पर पड़ा। उन्होंने गोवा में इसकी खेती शुरू की थी।
मालदा आम – बंगाल की खास किस्म
इस आम को पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में उगाया गया था और जिले के नाम पर ही इसे 'मालदा' कहा गया।
दूधिया मालदा – दूध से सींचे गए आम की कहानी
लखनऊ के नवाब फिदा हुसैन ने इस आम को पाकिस्तान से लाकर उगाया था और इसे गाय के दूध से सींचा जाता था। इसके गूदे में दूध जैसी सफेदी होने से इसे 'दूधिया मालदा' कहा गया।
हर आम की अपनी एक कहानी है – स्वाद, गंध, इतिहास या उत्पत्ति के आधार पर। यही बातें आम को 'फलों का राजा' बनाती हैं – स्वाद के साथ-साथ कहानियों से भी भरपूर।

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