मंटो के बेहतरीन अफ़साने जो आपको देंगे सोचने का एक नया नजरिया

आज हम आपके साथ सआदत हसन मंटो के ऐसे अफसाने आपके साथ साझा करने जा रहे जो आपको यह सोचने पर विवश कर देंगे कि कोई इतनी अच्छी सोच और इतनी महान सोच कैसे रख सकता .और हम क्यों नहीं ऐसा सोच पते है .क्या हम सच में इतने मुर्ख है कि ऐसी चीजो पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता .अगर हम सब मंटो जैसी सोच रखने लगे या थोडा सा ही उनकी तरह सोचने लगे तो हमारे देश की आधी समस्या यूँही ख़तम हो जाएगी ,क्योंकि सब खेल सोचा का हीओ होता है जो जितनी महँ सोच रखता और जितने ऊपर तक सोच सकता है वो उतना महान काम सकता .तो चलो पढ़ते मंटो के कुछ बेहतरीन अफ़साने...


लीडर जब आँसू बहा कर लोगों से कहते हैं कि मज़हब ख़तरे में है तो इसमें कोई हक़ीक़त नहीं होती। मज़हब ऐसी चीज़ ही नहीं कि ख़तरे में पड़ सके, अगर किसी बात का ख़तरा है तो वो लीडरों का है जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए मज़हब को ख़तरे में डालते हैं। 


मैं बग़ावत चाहता हूँ। हर उस फ़र्द के ख़िलाफ़ बग़ावत चाहता हूँ

जो हमसे मेहनत कराता है मगर उसके दाम अदा नहीं करता। 


आप शहर में ख़ूबसूरत और नफ़ीस गाड़ियाँ देखते हैं... ये ख़ूबसूरत और नफ़ीस गाड़ियाँ कूड़ा करकट उठाने के काम नहीं आ सकतीं।गंदगी और ग़लाज़त उठा कर बाहर फेंकने के लिए और गाड़ियाँ मौजूद हैं जिन्हें आप कम देखते हैं और अगर देखते हैं तो फ़ौरन अपनी नाक पर रूमाल रख लेते हैं... इन गाड़ियों का वुजूद ज़रूरी है और उन औरतों का वुजूद भी ज़रूरी है जो आपकी ग़लाज़त उठाती हैं। अगर ये औरतें ना होतीं तो हमारे सब गली कूचे मर्दों की ग़लीज़ हरकात से भरे होते। 


पहले मज़हब सीनों में होता था आजकल टोपियों में होता है। 
सियासत भी अब टोपियों में चली आई है। ज़िंदाबाद टोपियाँ। 


दुनिया में जितनी लानतें हैं, भूख उनकी माँ है।

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